गुजरात की वर्तमान स्थिति पर मेरे द्वारा रचित एक छोटी सी रचना :--
हैं इस बात के गवाह,यह धरती और आकाश......
हे जल! तुम्हीं से है जीवन और तुम्हीं करते विनाश।😱
जैसे अधिक तपन से, जल उठे तन मन......
किंतु अंधकार को मिटाने,है जरुरी सूर्य का प्रकाश।
तुम बिन अस्तित्व न संभव जग में......
हे जल! तुम्हीं से है जीवन और तुम्हीं करते विनाश।।😱
अपने सौम्य रूप से, सींचो पावन धरा को.......
मचाकर यों तबाही,मानवता को ना करो हताश।
तुम बिन अस्तित्व न संभव जग में.......
हे जल! तुम्हीं से है जीवन और तुम्हीं करते विनाश।।😱