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मैंने जीना सीख लिया।

11 सितम्बर 2021

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जब जब हार मिली....और बुझा उम्मीदों का दिया। 
हौंसलों की मशाल जलाकर......मैंने जीना सीख लिया। 

तूफानों से जब टकराकर....डोलने लगी नाव मेरी, 
चांदनी रातें गुम हुईं.........आई जब जब रात अंधेरी,
ऐसे वक्त में जब मेरा........दुनिया ने ना साथ दिया।
हौंसलों की मशाल जलाकर....मैंने जीना सीख लिया।


 ना खोने का दुःख मुझको.....ना पाने की चाह रही,
कविता का रूप लेने लगीं.....बातेंं मेरी कही-अनकही,
अपने मन के भावों को.......कागज़ पर यूँ उतार दिया।
हौंसलों की मशाल जलाकर....मैंने जीना सीख लिया।  
आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत सुन्दर

12 सितम्बर 2021

Arti

Arti

12 सितम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🏻🙂💐💐

Pragya pandey

Pragya pandey

Very nice lines ❤️

12 सितम्बर 2021

Arti

Arti

12 सितम्बर 2021

Thanks 🙏🙂💐💐

Poonam kaparwan

Poonam kaparwan

बहुत सुंदर अभियव्यक्ति।

12 सितम्बर 2021

Arti

Arti

12 सितम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙂💐💐

11 सितम्बर 2021

Arti

Arti

11 सितम्बर 2021

Thanks 🙏

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रचनाएँ
Arti की डायरी
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यह कुछ छोटी-छोटी क्षणिकाओं के लेखन का मेरा प्रथम प्रयास है।
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नई शुरुआत।

11 सितम्बर 2021
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<div>करने जा रही मैं, इस मंच पर, एक नई शुरुआत</div><div>आशा है मिलेगा, सभी पाठकों का,इसमें मुझको साथ

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वक्त की धारा।

11 सितम्बर 2021
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<div>कोई न जाने, ले जाती कहाँ,</div><div> &nb

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ये जिंदगी है दोस्त।

11 सितम्बर 2021
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<div>🌺ये जिंदगी है दोस्त,ये तो यूं ही चलती है।</div><div><span style="font-size: 1em;"> और दुन

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मैंने जीना सीख लिया।

11 सितम्बर 2021
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<div>जब जब हार मिली....और बुझा उम्मीदों का दिया। </div><div>हौंसलों की मशाल जलाकर......मैंने जी

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आओ खेलें खेल।

12 सितम्बर 2021
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4

<div>😅 14 नवंबर को जब देश ने,</div><div><span style="font-size: 1em;"> &

6

ख़लिश।

13 सितम्बर 2021
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<div>एक ख़लिश दिल की, ये क्या से क्या कर गई।</div><div> खुशियों की आंखों में,क्यों बारिशें भर ग

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तस्वीर।

13 सितम्बर 2021
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<div>🌹रिमझिम इन बूंदों में, झलकती है तस्वीर उसकी,</div><div> आज फिर भीग बैठे, उस

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तुम्हीं से जीवन,तुम्हीं से विनाश।

15 सितम्बर 2021
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<div>गुजरात की वर्तमान स्थिति पर मेरे द्वारा रचित एक छोटी सी रचना :--</div><div><br></div><div>हैं इ

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जो तुम नहीं।

18 सितम्बर 2021
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<div>पतझड़ ही पतझड़ है, बहार नहीं, जो तुम नहीं। </div><div>रोऊँ या गाऊँ पर दिल को,करार नहीं,जो

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एक बार फिर।

20 सितम्बर 2021
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<div>मैं चली अपने सफर पर, एक बार फिर। </div><div>जानी पहचानी सी उसी डगर, एक बार फिर।&nbsp

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