जब जब हार मिली....और बुझा उम्मीदों का दिया।
हौंसलों की मशाल जलाकर......मैंने जीना सीख लिया।
तूफानों से जब टकराकर....डोलने लगी नाव मेरी,
चांदनी रातें गुम हुईं.........आई जब जब रात अंधेरी,
ऐसे वक्त में जब मेरा........दुनिया ने ना साथ दिया।
हौंसलों की मशाल जलाकर....मैंने जीना सीख लिया।
ना खोने का दुःख मुझको.....ना पाने की चाह रही,
कविता का रूप लेने लगीं.....बातेंं मेरी कही-अनकही,
अपने मन के भावों को.......कागज़ पर यूँ उतार दिया।
हौंसलों की मशाल जलाकर....मैंने जीना सीख लिया।