😅 14 नवंबर को जब देश ने,
बाल दिवस मनाया।
जाने कौन सी धुन चढी़,
क्या श्रीमती जी के मन में आया।
😅 हमारे छह बच्चों को ले आई,
बोली आओ खेलें खेल।
तुम बन जाना इंजन प्रिय,
मैं और बच्चे बनेंगे रेल।
😅 मैंने कहा बौरा गई हो क्या,
तुम्हारे दिमाग का ठिकाना नहीं।
खेल में भी उसी डब्बे से जुडू़ं,
इतना भी मैं दीवाना नहीं।
😅 नखरे दिखा लो चाहे जितने,
हंसके सारे झेलूंगी।
घर पर लूडो खेलूंगी,
वो बोली दिल भी दे दूंगी।
😅 उसे सबक सिखाने की तब,
आई मन में बात।
बोला मैंने आओ खेलें शतरंज,
दूँ तुमको शह और मात।
😅 बात बनती ना देख कर,
वह अपनी चाल पर आई।
बोली आओ खेलें हमारा प्रिय खेल,
जो है कुश्ती और लड़ाई।
😅 देख उनका ये खतरनाक रूप,
अकड़ हमारी निकल गई सारी।
हथियार डालकर हमने कहा,
नर से सदा ही जीती नारी।