टूटा नहीं हूँ, बिखरा नहीं हूँ
नहीं, मैं टूटा नहीं हूँ, बिखरा भी नहीं हूँ
समूचा है तन मेरा, समूचा है मन मेरा
ह्दय को छोडि़ये, वो किसे दिखता है। 1।
नहीं, मैं मुरझाया नहीं हूँ, सूखा भी नहीं हूँ
चलता फिरता सांसे लेता सजीव मानव हूँ मैं
ह्दय को छोडि़ये, वो किसे दिखता है। 2।
नहीं, मेरी आंखे रोती नहीं हैं, तकिया भी नहीं भीगती
हंसती मुस्काती चमकती आंखे हैं मेरी
ह्दय को छोडि़ये, वो किसे दिखता है। 3।
नहीं, मैं घायल नहीं हूँ, दर्द भी नहीं हैं
कहीं चोट नहीं है बदन में मेरे
ह्दय को छोडि़ये, वो किसे दिखता है।4।