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दास्‍तान -ऐ- प्‍यार (अज्ञात प्रेयसी को समर्पित)

6 सितम्बर 2021

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 दास्‍तान ऐ प्‍यार बयां करने की जि़द न करो,  

ये कोई गीत नहीं है कि सुना दूं तुमको।  

दिल की ये बात है होंठो से न कह पाऊंगा,  

छू के मेरे दिल को इसे रूह से महसूस करो।।1।।   

  

 आज तुम फिर से मेरी आंखों में उतर आई हो,  

आंखे मेरी है मगर ख्‍वाब तेरे रहते हैं।    

अब तो रातों पे मेरी तेरी ही मिल्कियत है सनम,  

अब तो बिन तेरे सनम नींद नहीं आएगी ।।2।। 


 ये तो मत पूछो कि क्‍या हो मेरे तुम ओ सनम,  

सांसे मेरी हैं मगर जिन्‍दगी तुम्‍हारी है।  

अपनी सांसे मैने तेरे नाम पे रख छोड़ी हैं,  

मेरा ये दिल भी तेरे हुक्‍म का पाबंद है।।3।। 


 कौन कहता है कि चोरी की गुनहगार हो तुम,  

दिल तो खुद मैने तेरे कदमों पे रख छोड़ा है।  

अब उठा लो इसे सीने से लगा लो अपने, 

अब तो ये मेरा नहीं तेरी अमानत है सनम।।4।। 


 हांथ रख कर तो देखो मेरे दिल पे ओ सनम  

दिल तो मेरा है मगर धड़कने तुम्‍हारी हैं।  

मेरी आंखों में झांक कर देखो तो सही  

आंखे मेरी हैं मगर रौशनी तुम्‍हारी है।।5।। 


 कौन कहता है कि तुम स्‍वर्ग से उतरी हो यहां,  

मैने आंखों के सितारों से सजाया है तुम्‍हे।  

तुम ही मेरी अप्‍सरा हो मेनका तुम्‍ही हो मेरी,   

तुम ही मेरी रम्‍भा हो उर्वशी तुम्‍ही हो मेरी।।6।। 


 छू के मेरे दिल को मेरे गीतो को सुन लो सनम  

कल चला जाऊंगा इस जहां से कहीं और सनम।  

कौन फिर घोलेगा तेरे कानो में मिश्री ओ शहद 

 फिर तुम्‍हे कौन सुनाएगा बेज़ुबां सरगम।।7।। 


 मैं चला जाऊंगा आसमां में कही घुल जाऊंगा,   

तुम सुबह शाम सितारो में तलाशोगी मुझे।   

पर कहीं मैं न दिखूंगा तुम्‍हे आसमां मे कहीं,   

और न तारो में न सुबह शामों में कहीं ।।8।। 


 तब मुझे छू कर आयी हवाओं को छू लेना,    

और फूलों से मेरे बदन की खुशबू ले लेना।   

झरनों की कल कल से मेरा संगीत ले लेना,   

और परिंदो से ये कहना कि मेरे गीत सुना दें।।9।। 


 अभी रोक लो मुझे मैं तुम्‍हारा ही हूँ कोई गैर नहीं   

चल पड़ा तो न रोक पाओगी मुझे ओ मेरे सनम।   

बस इक बार कह दो कि मैं तुम्‍हारा हूँ सनम  

तेरे कदमो पे मेरी जिन्‍दगी गुजर जाएगी।।10।। 

                                  ----------- रवीन्‍द्र श्रीमानस 

                               मेरे काव्‍य सग्रह 'दास्‍तान ऐ प्‍यार' से 





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