तू पहला कदम तो बढ़ा,तेरे लिए रास्ते ख़ुद ब ख़ुद बन जायेंगे।तेरे पैरों पर ज़ख्म देने वाले कंकर पत्थर मंजीरे बन खनक जायेंगे।
तू पहला कदम तो बढ़ा, फिज़ाओं में तेरे ही गीत गुनगुनाएंगें।
यह ज़मीं आसमां तेरे सफर की सच्चाई के गीत लोगों तक जरूर पहुचायेंगें।
तू पहला कदम तो बढ़ा,समाज के रूढ़िवादी ,दकियानूसी कुंठित सोच रखने वालों के बनाए महल भी ढहजाएंगें।
तू अकेला कहां रह जायेगा,लोग ख़ुद ही तेरे कारवां में शरीख़ होते चले जायेंगे।
तू पहला कदम तो बढ़ा,लोग अंधविश्वास,पाखंडवाद,जातिवाद की सलाखें तोड़ तेरे साथ हो जायेंगें।
और इन आडंबरों को समाज में जिंदा रखने वालों के मुंह अपने आप सिल जायेंगें।
तू पहला कदम तो बढ़ा,हमारे महापुरुषों के जीवनसंदेश तेरे हमसफर बन जायेंगे।
तू इन महामानवों के रास्ते पर तो चल, लोग तेरा नाम भी महान लोगों में शामिल कराएंगे।
बस तू पहला कदम तो बढ़ा......
भूपेश कुमार