बचपन से जवानी के सफर में,
बदल गए हम एक ही नज़र,
मिलकर त्योहार मनाते थे सब एक ही घर मे,
अब कहा रह गए वो दिन, कोई इस शहर में तो कोई उस शहर में।
जब आता था होली का त्योहार,
निकल पड़ते थे लेकर रंगों की बौछार,
घर आंगन नया सा लगता,
जब आता दीवाली का त्योहार।
इंटरनेट की दुनिया मे गूम गए सब लोग,
त्योहार तो आते हैं, लेकिन बदल गए अब शोक,
त्योहार की मस्तियों पर सबने लगा दी है अब रोक,
अब कहा देखने मिलती है भाई बहनों की वो नोक झोंक।
बहुत पीछे छूट गयी अब वो रातें,
अब कहा रह गयी लोगों में वो बातें,
बस युही मुस्कुरा लिया करते है याद कर,
जो बिताई थी बचपन में त्योहार की यादें।।