मुझे जरूरत नही किसी भी उम्मीद की किसीऔर से,
मेरी खुद की तैयारी चल रही है बहुत जोर-शोर से,
मुझे मेरी मंजिल ने बांध रखा है एक डोर से,
मंजिल पाने की उम्मीद में आँखें खुली हुई है मेरी भोर से।।
बहुत भूख है इन आँखों में उस मंजिल की,
जिसकी कभी मैंने कल्पना की,
कोशिश जारी है उसको पाने की।।
हार के भी कभी रुकना नही है,
ठोकर खाकर भी कभी झुकना नही है,
चलने के जज्बे को बनाए रखना है,
जब तक मंजिल न मिल जाए अपने सपनो को सजाये रखना है।।