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उधेड़बुन

25 दिसम्बर 2021

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ये कैसी स्थिति मेंं आ गये है हम
न दिल को चैन है न सुकून न ही करार
तन्हा तन्हा सा अक्सर रहता हूँ
ख्यालों की चाशनी में डूबकर भी
प्यास बूझती नही है
रुह ना जाने क्यूँ अक्सर  
किस उधेडबुन में  खोया रहता है
न जागता है न सोता है

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