shabd-logo

उधेड़बुन

25 दिसम्बर 2021

35 बार देखा गया 35
ये कैसी स्थिति मेंं आ गये है हम
न दिल को चैन है न सुकून न ही करार
तन्हा तन्हा सा अक्सर रहता हूँ
ख्यालों की चाशनी में डूबकर भी
प्यास बूझती नही है
रुह ना जाने क्यूँ अक्सर  
किस उधेडबुन में  खोया रहता है
न जागता है न सोता है

maurya की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए