शिक्षक हूँ और गीत लिखता हूँ
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<div>जिन्दगी -जिन्दगी लगती ही नही ,अक्सर</div><div>जब भी मन का भरम जब टूटता है</div><div>बिखर जाती ह
<div>ये कैसी स्थिति मेंं आ गये है हम</div><div>न दिल को चैन है न सुकून न ही करार</div><div>तन्हा तन्