उजाला ने अपनी मां को समझाया कहा मां हमारे भाई बहन अफसर बन सकते है और वो बनेंगे
क्या तुम उनके कालेज के रिपोर्ट कार्ड नहीं देखती हो
कितने अच्छे हैं वो पढ़ने में और हां उनके अध्यापक भी तो कहते हैं न कि वो जरूर कुछ बड़ा करेंगे
फिर मां आप ऐसे हार कैसे मानोगी हम दीन रात मेहनत करेंगे और उनको पढ़ाएंगे देखना मां वो एक दिन अफसर जरूर बनेंगे फिर हमारी गरीबी दूर हो जाएगी मां
उजाला की मां मांन जाती है
उजाला और उसकी मां एक नया कारोबार शुरू करती है उजाला समोसे और पकौड़े बनाकर लोगों को बेचती है
धिरे धिरे उजाला का यह कारोबार बढ़ने लगा
अच्छी खासी कमाई होने लगी यह देख उजाला की मां का साहस बढ़ने लगा
और वो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए शहर भेज देती है