मैंने इक पल तुमसे चुराया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
तुझसे इक रिश्ता निभाया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
यूं तो हम अनजान ही थे,
पर जाने क्यों तुम्हें अपना बनाया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
दर्द की कसक बहुत थी मेरे दिल में फिर भी,
जाने क्यूं तुझसे सबकुछ छिपाया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
थी वाकिफ मोहब्बत के किस्सों से फिर भी,
तुझे सीने से लगाया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
मैं ना बन पाऊंगी तेरी कभी,
ये इल्म था मुझे मुझे फिर भी,
तुझे धड़कन बनाया था,
तुम्हारे साथ जीने को।
रोहिणी.........