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वज्रपात

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इस दीवाली शोक, निराशा, बरबादी थी झोली में।हाथों  से  रज,आंखों  से  आंसू  बरसे  रंगोली  में।।...बेटी का संसार लुट गया, दीपों का त्योहार लुट गया।बेबस थे सब, कर न सके क

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