खाकी वर्दी, काला कोट विवाद डॉ शोभा भारद्वाज आजादीके बादसे कभीपुलिस वालोंको उद्वेलित होते नहींदेखा है जबकि वकीलअक्सर प्रदर्शन करते रहतेहैं खाकीवर्दी एवंकाला कोटका एक अलग तरहका रिश्ताहै पुलिसका महत्वपूर्ण काम अपराधीपकड़ना एवंउसे कोर्टमें हाजिरकरना है है वकीलअपराधी के पक्ष मेंदलील देकरउन्हें सजासे बचाने
वर्दी कोट का झगड़ा अदालत थाना आपस मे भिड़ जानेलगे।जबकि न्याय सुरक्षा सिक्केके दो पहलू है।इस से सामाजिक मानव प्राकृतिसंसार हैं।जब यह दोनों आपस मे लड़ जाएंगे,सामाजिक कुरीतियाँ और बढ़ जाएंगी।चोर,आवारा जेबकतरों की मौज होगी।जेलों मे होली अदालतों मे मखोलीहोगी।शासन,सत्ता मौन होगी आकाओ की मौज़ होगी।विदेशो मे मौज़
वर्दी विश्वास मानव मे नही उसकी वर्दी मे होता हैं। कुर्सी का कलर एक हो सकता हैं पर वर्दी का नहीं। कुछ बुद्धजीवियों ने यह तय किया की इस कुर्सी के लिए इस कलर की वर्दी जमेगी। जवान, वकील, डॉक्टर, मास्टर, जज, राजा, नेता, किसान सब की एक वर्दी को उनकी योग्यता के अनुसार बनाया लेकिन आज वह वर्दी भी मायने नहीं