वर्तमान में देखा जाए तो महिलाओं पर आधुनिक शिक्षा का प्रभाव काफी हुआ ,समान्यता आज भी यह माना जाता है कि महिलाएं अपने जीविकोपार्जन के लिए काम नहीं करती और उनके लिए षिक्षा की आवष्यकता नहीं थी ।
ऐसे बात भक्ती आंदोलन की करें तो उन्हों ने रूची ली और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई परन्तु देखा जाय तो आज भी बाल विवाह को प्रचलन आज भी लड़कियों की षिक्षा में बाधा बना हुआ है आज तक भी उस पर कोई उल् लेख नीय प्रगति नहीं हुई हैं।हां एक काम वर्तमान में देखने को जरूर मिला ,जो अर्थ की बढ़ती हुई महत्ता ने नारी को षिक्षा की ओर घ्यान जरूर आकर्शित कराया है।लेकिन आज महिलाएं यानि षिक्षित महिलाएं पाष्चात्य सभ्यता ,संस्कृति और नारी स्वाधिनता के विचारों से उतनी प्रभावित हो गई है कि वह विवाह जैसे रिवाजों और सामाजिक रूढ़ियों पर से अब उनका विष्वास उठने लगा है।
ऐसे कुुछ अपवादों को छोड़ देखे तो पाक ब्रिटिष भारत में औरतों को प्रायःषिक्षा मिलती थी ,मध्ययुगीन विचारें प्रणाली में औरतों को केवल घर के कामों की ही जिम्मेदारी दी गई थी और वह लड़को के लिए गांव एंव षहरों में स्कूल होते थे ।लेकिन औरतों के लिए कहीं षिक्षा की प्रबन्ध नहीं था समय के साथ साथ प्रगतिवादी बुधिजीवियों ने स्त्री षिक्षा की आवष्यकता को स्वीकार किया और इसका परिणाम यह मिला कि रूढ़ीगत प्रतिरोध समाप्त हुए और इसे राश्टीªय प्रगति की आवष्यक षर्त माना गया ।
परन्तु 21वीं सदी में महिलाओं को षिक्षा नहीं बल्कि हर क्षेत्र में भागीदारी के साथ जिम्मेवारी मिला फिर हालात आज बद से बदतर है तो अब देखना ए हैकि इसके जिम्मेदार कौन है,हम या आप ।