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Vikash Shukla के बारे में

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Vikash Shukla की पुस्तकें

Vikash Shukla के लेख

Prem

24 नवम्बर 2021
1
0

<div>आज फिर अधूरी एक रात रह गई ,आज फिर अधूरी उनसे मुलाकात रह गई । रह गए अधूरे कुछ ख्वाब ज़िन्दगी के

हिंदी दिवस

14 सितम्बर 2021
11
2

<div>गर्व हमें हैं हिंदी पर, शान हमारी हिंदी हैं कहते _सुनते हिंदी हम, पहचान हमारी हिंदी हैं ।</div>

गरीबी

13 सितम्बर 2021
8
3

<div>कि अभी पलक सुखी न थी,</div><div>कमबख्त दुख की बारिश आ गई,</div><div>कि जब अपनों का छाता मिला ही

परिश्रम

12 सितम्बर 2021
10
1

<div>दुनिया के सारे शौक पाले नहीं जाते,</div><div>कांच के खिलौने हवा में उछाले नहीं जाते, परिश्रम कर

बालक जीवन

9 सितम्बर 2021
12
2

<div>टकराकर भी ना टूटे, हम वो धार बनाते हैं।</div><div>हम बालक है जनाब, अपनी कलम को ही तलवार बनाते ह

प्रेम

8 सितम्बर 2021
6
0

<div>उनकी मोहब्बत का अभी निशान बाकी है, नाम होंठों पर जान बाकी है क्या हुआ अगर देख कर नजर फेर

ज़िन्दगी का सफ़र

8 सितम्बर 2021
6
2

<div>कोई रो कर दिल बहलाता हैं,तो हंस के दर्द छुपाता है । क्या करामात है खुदा का, जिंदा इंसान पानी मे

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