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गरीबी

13 सितम्बर 2021

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कि अभी पलक सुखी न थी,
कमबख्त दुख की बारिश आ गई,
कि जब अपनों का छाता मिला ही था,
कि गरीबी की हवा उससे भी उड़ा ले गई।।

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