यकीन मानिए.....#भूलभुलैया#......कोई भी साधारण कार्य आसान हो सकता है......हर कार्य को आसान समझना आसान है....कोई कार्य आसान हो या ना हो....परन्तु किसी भी कार्य को आसान बनाने के लिए....अनेक आसान प्रयत्न करने में कोई कठिनाई नहीं.....कोई प्रयत्न लगातार करने से बारम्बार आसानी का अनुभव बहुत आसान कार्य है.....ज़माना एक खजाना है....इस खजाने में आसान को खोजना.....साधारण कार्य....खोजने का अपना एक अलग आनन्द....आसान या कठिन ?......यह स्वयं का निर्णय...विश्व विजेता मुक्केबाज #मोहम्मद अली# के लिए सबसे आसान कार्य स्वयं के शरीर पर वार सहन करना हो पाया....और जब प्रतिध्व्न्दी वार करते-करते थक जाये...तब अली स्वयं विजेता बनाना शुरू करते थे.....दोस्तों को JUST FOR YOU कहने के साथ just BECAUSE of YOU कहना भी अनिवार्य....जब radio पर गाना बजता है.....यारी है ईमान मेंरा यार मेरी जिन्दगी.....यार ऐसा मिल गया दिल हमारा खिल गया.....तब गाना सुनना पड़ता है....ध्यान से.....कब ?क्यों ?कैसे ? का उत्तर जानने के लिए.....भगवान के प्रति आस्तिक तथा नास्तिक दोनों हुआ जा सकता है...पर मित्र को मित्र मानने में कोई हर्ज नहीं....यह सब आमने-सामने का खेल....मात्र तीन रेखों का खेल.....उल्टा पुल्टा एक समान.....जैसे हिंदी में लिखा हुआ पत्र उलट कर पढने पर उर्दू का आनन्द आता है.....दायें से बाएँ.......यदि #READING CONTINUE# न हो तो #POST# का अध्ययन अधुरा.....फेसबुक की और से यह अदभुत सुविधा सभी मित्रो को सौगात है....यह बात अलग है कि इसे दुविधा मानने का भ्रम हो सकता है....ठीक प्रस्तुत चित्र के समान.....जरा चौकोर तो गिनिये.....विनायक परिश्रम....नक़ल की गुंजाईश नहीं.....स्वयं से प्रश्न....What More ?, What Next ?, What Else ?.....The Three Magical Questions that PROPEL Progress....’विनायक-प्रश्नोत्तर’.....भक्त, भक्ति और भगवान को मानव के अतिरिक्त कोई दूसरा समझ ही नहीं सकता है...बिल्कुल #भीड़# से अलग...#भेड़# वाली चाल नहीं....एक समीकरण को हल करने के लिए दो मित्र पर्याप्त है...साझा अध्ययन...COMBINED STUDY…..कोई पहेली नहीं....रचना हमारी खुद की, स्वयं द्वारा रचित....छोटी-बड़ी...आड़ी-तिरछी....सीधी-सादी...मोटी-पतली....भले ही कैसी भी हो....है तो स्व-रचित....कोई प्रतियोगिता या प्रतिस्पर्धा नहीं....कोई हार या जीत नहीं.....सुना है कुछ लोग अपनी लकीर को बड़ी करने के लिए, दूसरों की लकीरों को अकसर मिटा कर या घटा कर छोटी कर देते है....तब वें यह भूल जाते है कि मजा तो सिर्फ अपनी लकीर बड़ी करने में है...और यह मजा मात्र सरल या आसान होने के कारण है....जितना वक्त लकीर मिटाने में लगता है, उससे कंही कम वक्त लकीर बनाने में लगता है....शायद इसीलिए प्रकृति-प्रदत्त....सहज हस्त-रेखायें....प्रत्येक मानव-हस्त पर नैसर्गिक रचना....विधाता का सहज ‘लेख’....शायद आज-तक कोई न निकाल सका....’मीन-मेख’....और अन्त तक विधाता यही कहे...’देख तमाशा देख’....और चिंता की कोई बात नहीं....सब ईश्वरीय ‘देख-रेख....We Demand….क्षमा, रक्षा, न्याय, व्यवस्था....’जाको राखे साईयाँ, मार सके ना कोय’.... #JUST for YOU#.......बड़े #होर्डिंग# की लागत ज्यादा हो सकती है, परन्तु छोटे #होर्डिंग# तो कोई भी बना सकता है....#just BECAUSE of YOU#......#मुद्रा या रोकड़# से महत्वपूर्ण #%#.....#विनायक-परिश्रम#....एक ही प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः" एवम् एक ही आधार "गुरू कृपा हिं केवलमं"....आप सभी आमंत्रित है....पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सुविधा सिध्द होती रहेगी....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DE