JUST INTERNATIONAL....FROM THE DESK OF #VINAYAK SAMADHAN#....WITH DUE RESPECT.....TO ALL RESPECTED FRIENDS.....
जय हो....शुभ-दिवस....सोशल मीडिया पर सब-कुछ....बहुतायत में बहुत-कुछ कहा जा रहा है....और #कुछ# को #बहुत# ना बनाते हुए....कुछ-कुछ....#मन की बात# शत-प्रतिशत.....#सहिष्णु#....हे प्रभु....हर आईने में तेरी तस्वीर मुझे नजर आई है......कहते हैं प्यार में निंद उड़ जाती है.. हम ने ख्वाबो में, नवाबों की तरह प्यार की दुनिया बनाई है....वर्तमान से हमेशा के लिए.....स्वयं को सरल बनाने का सूत्र.....स्वयं के पास.....और उपयोग या प्रयोग करने का अधिकार भी सबके पास....अत: चित्र अवश्य देखे....चल-चित्र बनाना.....COPY, PASTE, EDIT….SAVE, SEND, LIKE….स्वयं का दायित्व...शब्द पहले आये या चित्र ?....यह मुर्गी या अन्डे के प्रश्न समान.....परन्तु यह सुनिश्चिन्त सत्य है कि.....प्राण एक दुजें में.....सदैव महत्वपूर्ण....एक दूजे के लिए....FOREVER....अंक नौ....NINE....नवम-भालचन्द्रम.....एक ही सन्देश....please DON’T make any communication gap....सदा दिवाली सन्त कि आठों प्रहार आनन्द....हम स्वयं को सन्त माने या ना माने....धर्म के अनुसार प्रत्येक प्राणी या जीव सन्त का ही रूप होता है.....सब कुछ अपने स्थान पर...परन्तु दुरी का कारण मात्र मानव.....नापने-मापने की कला में या अंजाम देने में रूचि लेने-देने का काम आदमी का....शायद इसिलिये....आदमी मुसाफिर है....आता है-जाता है....अनेक मित्रो से आमने-सामने....मुलाकात के पश्चात् चाँद समान चन्द शब्द....चाँद को किताबों में पढ़ा जा सकता है....और देखने के लिए.....सहज आमने-सामने.....कोई पाबंदी नहीं.....और बादलो के बीच चाँद को खोजने का अपना इन्तजार....और शायद इसीलिए इन्तजार का फल मीठा होता है...ठीक ईद की मिठाई की तरह....किताब पढ़ने से बेहतर मित्रों को पढना ज्यादा सरल कार्य लगता है.....किताब पढ़ना मेहनत का काम....और वास्तव में मेहनत तो लिखने में होती है.....शायद इसीलिए....सौ बका और एक लिखा....और यह कोई भी कर सकता है....परन्तु मात्र पढ़ने से उत्साह बढ़ने की ग्यारंटी हर शब्दकार का वचन....रघुकुल रित सदा चली आयी....प्राण जाये पर वचन ना जाये....शायद इसीलिए....राजा-राम सदैव आराध्यदेव....मात्र इसी में....बचपन का उत्साह महसूस हो सकता है....बस यूँ ही खेल-खेल में.....सबकी नैय्या पार लग जाती है....और कोई नहीं, हम स्वयं लगाते है....बस निगाहें लगी रहती है, किसी की.....कोई भी हो.....कौन है वह ?...तब ज्यादा महत्वपूर्ण यह कि ....कहाँ है आनन्द ?.....Many times things don‘t happen in the way we think.....Rather happen completely opposite to what we perceive.....In the game of life......We have to know and follow certain rules…..To make our life easy and comfortable but contrary to it….. If we do not know or follow these rules…. life can be fluctuate….. Now important is how to know these set of rules to live a satisfying and happy life…और नियम साधारण ही भले...धर्म के अनुसार जीवन दो पल का....और सरल नियम...एक तेरा, एक मेरा....हर दिन नया सवेरा...हर रात के बाद सुबह....चमत्कार का सरल नियम....ठीक #पायथागोरस# प्रमेय के समान....मात्र आस्था एवम् प्रार्थना के आधार पर... सामाजिक त्रिकोण में धार्मिक आधार का अपना महत्त्व है....धर्म , विज्ञानं एवम् साहित्य....ये तीनो पहलू हमारे भीतर मौजूद है...हम प्रतिदिन इन पहलूओ पर कार्य करते है.....ध्यानपूर्वक चित्र देखिये....प्रस्तुत चित्र को....घर, मंदिर और कार्यालय या दूकान अर्थात राज्य-पक्ष....तीन चौखाने....और सब जगह हम स्वयं....ठीक एक नेतृत्व...एक राजा के समान....सेवा तो निश्चिन्त परन्तु कर्तव्य सुनिश्चिन्त....और अगले ही चित्र में चौखानो की भू-भुलैया....Either someone from our family friends, teachers or strangers have to educate us about these rules #OR# we have to learn from our own experiences ….As early as we learn and practice these rules, better are the chances for us to lead a happy and meaningful life…तब शब्दों के साथ-साथ चित्रों का अवलोकन भी आवश्यक हो जाता है....और उस स्तिथि में हर चित्र हर मित्र का मित्र.....यही सूत्र है....मित्रों को पहचानने का....सुनहरा अवसर....प्रति-पल..... This piece of writing (POST) will help to know about not only about how people behave but also the reason for their behavior in particular manner…..Fascinating facts and real story will narrate how the life may completely transformed.....काम की बात करने की कोशिश न हो तो फालतू बात होने का डर.....सिर्फ विचारो में परिवर्तन....जिनके अपने सपने पुरे नहीं होते है......वे दूसरों के सपने पुरे करते है.....और यही एक मात्र पुण्य का मार्ग है....बाकि तो सब मन को समझाने वाली बाते हो सकती है.....हम जो चाहते है...उसे अपने लोगो को करना सिखाये....सवांद, संपर्क और पारदर्शिता.....अन्त तक आनन्द.....और अन्त कभी आता नहीं… 'हरि कथा अनन्ता'...SO EASY.....”लोगो की मदद करते जाओ...बड़े आदमी बन जाओगे”.....और इससे भी ज्यादा आसान....SO SIMPLE.....अर्थात स्वयं के लिए आदेश...स्वयं द्वारा...चित्र या मूर्तियाँ तो मात्र माध्यम......#कर भला तो हो भला#.....”जीवन कोरे कागज़ के स्थान पर भरा-पूरा अखबार”.....और अखबार पढने के लिए आमने-सामने की कला में पारंगत होना स्वयं का दायित्व.....शत-प्रतिशत......’विनायक-प्रयास’ सदा सुखदायी....विचार ऊंट की करवट बदलने के लिए बदलते रहते है.....लाभांश का समान वितरण हो...ठीक स्वयं को राजा मान कर....राजा मान सिंह.....साम...दाम....दण्ड....भेद......जो निखर कर बिखर जाए...वह कर्तव्य है और....जो बिखर कर निखर जाए....वह व्यक्तित्व होता है...सहज #मर्यादा-पुरुषोत्तम#....सेवा मात्र.....एक मात्र सेवक #श्रवण-कुमार# तथा #एकलव्य# की तरह.....इसलिए राम हमारे आदर्श है....धर्म की रक्षा....धर्म की जय हो....अधर्म का नाश हो..... आमने-सामने....प्रत्येक चित्र, मित्र के रूप में....एक ‘निमंत्रण-पत्रिका’ या ‘VISITING CARD’ या ‘BANNER’ या ‘HOARDING’....जो भी हो....पर है....BECAUSE OF YOU…..सिर्फ इसलिए कि हम इस दुनिया-दारी में गुम हो जाते है....तब गुम-शुदा की तलाश या गुमनाम.....तब कोई तो हो जो FIR अर्थात्....’रपट दर्ज करे’.....और गाँव की पुलिया पर लिखा है कि पानी ज्यादा होने पर “रपट पार करना मना है”....आसमान में पक्षी तथा वायुयान दोनों की दक्षता होती है, मगर समुद्र की गहराई तो गोताखोर ही मापने की हिम्मत कर सकता है....अनादि से अनन्त...सहज स्व-सत्संग......हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो.....मस्तिष्क सही तो दुनिया सही लगती है.....दुनियादारी का दावा या ग्यारंटी टेड़ी खीर....जबकि खीर तो खीरे से भिन्न....मात्र मीठी.....SWEET...."धर्म-संकट"...जब धर्म में किसी विशेष कर्म या संस्कार का प्रावधान अनिवार्य हो जाता है या हो सकता है...संभावनाओं से इंकार नहीं हो सकता है...समर्थन में सहजता अनिवार्य हो जाती है...और समर्थन ना हो तो धर्म-संकट उत्पन्न हो सकता है...धर्म स्थाई क्यों है ? मात्र इस प्रश्न के उत्तर द्वारा धर्म को जानने में ज्यादा सहजता हो सकती है...सत्य तो यह है कि धर्म को नवीन रूप से जानने में ही धर्म लगातार प्राचीन हो रहा है...शायद इसीलये धर्म चिर-स्थायी सिद्ध होते आया है..Just An idea.....To Feel Or Fill....THE MATERIAL IN THE #MIND#.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द... 'तलाशने या खोजने का अपना एक अलग आनंद होता है'...जिज्ञासा प्रतिपल या प्रतिदिन...हो सकता है, कुछ काम को बनाने वाली बात मिल जाये...और मिल जाये तो "निश्चिन्त हो कर निश्चिन्त रूप" से समझना पड़ सकता है...चर्चा अर्थात् 'शब्दों के सरोवर में' तैरने का प्रयत्न या अभ्यास या आनन्द... जय हो...As we have to convert our positive energy into positive power...everything we do to enhance. .our qualities within us is SPIRITUALITY....कब ? क्यों ? कैसे ?....तर्क-वितर्क...चर्चा का अहम् पहलु होते है...और यदि इस पहलु को सकारात्मक बनाने की जिसने भी पहल करी...बस वही कहलाता है..."जो जीता,वही सिकंदर"...और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वही कहलाता है... "मुकद्दर का सिकंदर"....मात्र स्वयं का अनुभव.....हार्दिक स्वागतम…..”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#..