आहार, विहार, सदाचार...unknown is ocean & known is DROP....
ज्ञान ेन्द्रियों मे पानी भर जाये तो मुसीबत और eye-drop और ear-drop से 'जैसे थे'....as it is....सब कचरा साफ़...मन्त्र और सूत्र के रूप मे...हम अपना शरीर वैसा ही बनाते हैं जैसा हम अपने जीवन में अनुभव लेते हैं....हर बार हम अपने तरीके से प्रतिक्रिया करने के लिए ललचाते हैं तो स्वयं से पूछना होगा कि हम भूत के कैदी होना चाहते हैं या भविष्य के अग्र-दूत....सफलता के कई पहलु हैं....धन उसमे से बस एक घटक है.....लेकिन सफलता में अच्छी सेहत,उर्जा और जीवन के लिए उत्साह, परिपूर्ण रिश्ते....रचनात्मक स्वतंत्रता...भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिरता.....अच्छा होने का एहसास और मन की शांति भी शामिल है....पारिख....पारखी और रत्न-पारखी.....अनुभव होने के बाद भी यही कहे....परीक्षा और साक्षात्कार मे कुछ अन्तर है ?...आमने-सामने या फिर FACE TO FACE....प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष....परोक्ष या साक्षात या सापेक्ष....देश का पैसा देश में....BE INDIAN, BUY INDIAN.....यह सत्य वचन है कि हम सब भारतीय है...निःसंदेह..सौ साल बाद भी यह पोस्ट ताजा-तरीन कायम रह सकती है...पढ़ने में मज़ा तब आये जब भारतीय हर खरीद-फरोख्त में कहे...वाह ताज....हमारा बजाज...तलवार में असली कैलिबर (दम) होता है....वाह जी पतंजलि...दूरदर्शन वाह-वाह...जय हो आकाशवाणी...आस्था का आधार....मेरा भारत महान....खरीददारी मे भारतीय उपभोक्ता पुरे विश्व मे किफायती माना जाता है....हम सब्जी के साथ धनिया फ्री में लेने की जिद करना जानते है....और भारतीय दुकानदार आपसी मित्रता में नफा-नुक्सान सहन कर लेता है....और भारत का उपभोक्ता संपूर्ण सनातन सिद्ध होता है....बाजारों में भेदभाव असंभव....विनम्रता में
व्यापार ी का जवाब नही.....किसान और व्यापारी, देश और धर्म को साध कर चलते है.....असलम भाई का कहना यह कि ये अल्ला का करम है कि नमाज़ पढ़ के आता हूँ तो देखता हूँ कि ग्राहक इंतज़ार कर रहा है.....कलदार..Rs...नोट पर सभी भाषाएँ होती है....कोई भेदभाव नहीं....चलता है, सालो-साल.....अब खरीददार सोचता है कि कहीं मेरा पैसा सरहद पार तो नहीं जा रहा है....बरकत भली, घर के लिये....घर मे बना खाना सरल, किफायती, पौष्टिक सिद्ध होता है.... शुद्धता का दावा तो होटल वाले करते है...शास्त्र हमेशा वृहद होते है....अध्ययन करने में संकल्प चाहिए....चेहरे-मोहरे भिन्न-भिन्न होते है किंतु बालों की प्रजाति कुछ एक....बालों में कितनी जान होती है, पता नही....किन्तु बाल जीवात्मा के साथ हर-दम...और जटाओं की महिमा स्वयंभू होती है.....तब भी कोई भेद-भाव नही....तब साम, दाम, दंड लागु नही.....काम में इतना ध्यान लग जाता है कि चाय ठंडी हो जाती है....इसका मतलब यह कि चाय जरुरी नही....और जो जरुरी है वह हो रहा है....वर्तमान मे फौजियों का सम्मान....इससे पहले मिडिया ने कभी इतना प्रकाश नहीं डाला....आज़ादी के बाद सेना को सर्वाधिक सम्मान....सिर्फ हौसला-अफजाई के कारण हर युवा स्वयं को फौजी के रूप में देख सकता है....यहाँ प्रस्तुत विभिन्न कथन जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते है अथवा नहीं....किन्तु मन में एक हलचल अवश्य हो सकती है....जैसे पानी मे कंकर फेंक कर लहर पैदा की जा सकती है...और यह वास्तविक क्रिया है....सॉफ्टवेयर की बात नहीं...लेकिन हार्डवेयर में हाथ में कंकर और पैंदे में पानी जरुरी है....और लहर स्क्रीन को कवर कर लेगी....बस इतनी सी क्रिया मे सॉफ्टवेयर की फैक्ट्री चल निकलती है....दो लोगो मे विचार...आमने-सामने....BEST SOFTWARE....आपके और आपके द्वारा चयनित माध्यम के बीच तालमेल में लय-ताल....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344.......To Feel Or Fill.....With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS...