प्रणाम!
कैसे हैं आप सब?
आशा करते हैं कि सब कुशल से होंगे,,।
"विज्ञान ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं कि वह मनुष्य की सबसे गंभीर समस्याओं का समाधान कर सकेगा। यह ऐसा कुछ नहीं कर पाया हैं कि व्यक्ति का उसके गुनाहों से और उसकी असफलता एवं मृत्यु के भय से उपचार कर सकें"।
-अर्नोल्ड टायनबी
"मानव में ज्ञान का भंडार हैं, किंतु वह फिर भी प्रज्ञा की कमी से पीड़ित हैं"।
उपरोक्त कथन का सीधा संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से हैं।क्योंकि आज का मानव सोचता हैं कि वह विज्ञान और तकनीकी की सहायता से अपने स्वास्थ्य को सदैव उत्तम बनाए रख सकता हैं। लेकिन वह यह भूल जाता हैं कि इस क्षेत्र में उसका अपना प्रयास भी उतना ही अपेक्षित हैं।
आज "विश्व स्वास्थ्य दिवस" के शुभ अवसर पर, मैं भी आप सभी से स्वास्थ्य के सन्दर्भ में कुछ विशेष बातें कहना चाहती हूं-
स्वास्थ्य एक आम शब्द हैं। अधिकांश लोग इस शब्द का अर्थ समझते हैं। लेकिन स्वास्थ्य की सही परिभाषा क्या हैं? व्यक्ति के स्वस्थ रहने का मूलमंत्र क्या हैं?
1946 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) ने स्वास्थ्य की एक बहुत ही सटीक परिभाषा दी हैं, जो कि इस प्रकार हैं-
"स्वास्थ्य पूर्ण दैहिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक कल्याण की दशा हैं, न कि केवल रोग के अनुपस्थित होने की दशा"।
अर्थात "स्वास्थ्य एक दैहिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक गुणों की अवस्था हैं, न कि केवल बीमारी की अनुपस्थिति"।
ये स्वास्थ्य की एक सटीक परिभाषा हैं। लेकिन स्वस्थ रहने का मूल मंत्र क्या हैं? सभी आदरणीय जनों, स्वस्थ रहने का मूल मंत्र सिर्फ एक ही हैं, सकारात्मक सोचें और हमेशा हर परिस्थिति में खुश रहें। आज़ के लिए बस इतना हीं फिर मिलते हैं कुछ और नयी बातों के साथ,,।
🌻वासुदेवाय नमः🌻
दिव्यांशी त्रिगुणा
लेखिका, शब्द इन
07/04/2023