प्रणाम!
कैसे हैं आप सब?
आशा करती हूं कि कुशल से होंगे,,। आज हमने एक सुंदर सी कविता लिखी हैं, जो आप सभी के समक्ष यहां प्रस्तुत हैं।
मेरा प्यारा छोटा घर, बचपन का
याद दिलाता अपने, चंचल मन का
सारी की सारी यादें वहीं हैं,
जिसमें छोटी सी बच्ची कहीं हैं,
पापा की प्यारी, माँ की दुलारी हैं
हैं वो सबसे बड़ी, सबसे हीं अलग न्यारी हैं
प्यारे प्यारे से सपने सजाकर,
अपने छोटे से घर को बनाकर,
घर घर खेले हम बहन-भाई,
अपने घर की याद सताई,
वो हमारा खुलकर हँसना,
अपने मन पर कोई बस ना,
जीवन मुशिकल का कुछ भी पता ना,
बस अपने मन की करते जाना,
ये था, मेरे प्यारे घर का खजाना
जिस बसता मेरे मन का तराना....
आज के लिए बस इतना ही, कल मिलते हैं कुछ और नयी बातों के साथ,,।
🌻वासुदेवाय नमः🌻
दिव्यांशी त्रिगुणा
लेखिका, शब्द इन
02/04/2023