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प्यारा घर बचपन का।

3 अप्रैल 2023

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प्रणाम! 

कैसे हैं आप सब?

शा करती हूं कि कुशल से होंगे,,। आज हमने एक सुंदर सी कविता लिखी हैं, जो आप सभी के समक्ष यहां प्रस्तुत हैं।

मेरा प्यारा छोटा घर, बचपन का
       याद दिलाता अपने, चंचल मन का
सारी की सारी यादें वहीं हैं,
       जिसमें छोटी सी बच्ची कहीं हैं,
पापा की प्यारी, माँ की दुलारी हैं
       हैं वो सबसे बड़ी, सबसे हीं अलग न्यारी हैं
प्यारे प्यारे से सपने सजाकर,
       अपने छोटे से घर को बनाकर,
घर घर खेले हम बहन-भाई,
        अपने घर की याद सताई,
वो हमारा खुलकर हँसना,
       अपने मन पर कोई बस ना,
जीवन मुशिकल का कुछ भी पता ना,
       बस अपने मन की करते जाना,
ये था, मेरे प्यारे घर का खजाना
       जिस बसता मेरे मन का तराना.... 

आज के लिए बस इतना ही, कल मिलते हैं कुछ और नयी बातों के साथ,,।

🌻वासुदेवाय नमः🌻

दिव्यांशी त्रिगुणा 

लेखिका, शब्द इन

02/04/2023

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रचनाएँ
जीवन दैनंदिनी..! (अप्रैल-2023)
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अप्रैल माह की इस डायरी में आपको सुन्दर और उत्कृष्ट कविताओं का संगम पढ़ने के लिए मिलेगा,,। कृपया पढ़कर अपनी सुंदर समीक्षा अवश्य दें। 🙏🙏
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मेरा प्यारा छोटा घर, बचपन का याद दिलाता अपने, चंचल मन कासारी की सारी यादें वहीं हैं, जिसमें छोटी सी बच्ची कहीं हैं,पापा की प्यारी, माँ की दुला

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