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गुरु की महता

5 नवम्बर 2019
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🌷गुरु की महता 🌷*****************गुरु तम मिटाने वाला ,गुरु हैं संजीवनी।उनकी कृपा वृष्टि हो तो,होती सुंदर जीवनी ।। *माँ प्रथम गुरु होती है, पिता मार्ग दर्शक।माँ पीड़ा हर लेती है, पिता बनते रक्षक।। *सच्चा गुरु वही होता है, जो चरित्र बदल दे।शिष्य के हर व्यवहार कर दे वे सरल रे।।

शायरी

1 नवम्बर 2019
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कुछ तो तड़प शांत हो जाएंगी हमारी।जब तेरे पहलू में कुछ पल सुकून के बिताया हम करें ।।💓💓💓💓💓💓💓मिथ्या ✍

शायरी

1 नवम्बर 2019
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💘तेरी चाहत में बात दिल में बस अब इतनी है सनमतुम हमें देखों हम तुझे यूँ ही निहारा करें ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ( मिथ्या)

प्रेम पावनी

30 अक्टूबर 2019
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मात्रा---15, 12 🌹प्रेम पावनी 🌹 **""**""** टकटकी लगा निहार रहे, एक दूजे में लीन । मन के भीतर चलता रहा, ख्वाबो का एक सीन।।तेरे दर से न जाएंगे मन में जगी है आस। उठ रही दिलों में सैकड़ों दबी हुई मिठी प्यास।।पाकर प्रेम पावनी पिया , पीकर होती निहाल।

16 मात्रा पर कविता

26 अक्टूबर 2019
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🕎 दीपावली 🕎 """"""""🌷"""""""मन के तम को दूर हटाकर , (मात्रा--16) ज्ञान का दीपक जलाना है। चौतरफा फैला उजियारा , खुद को सत्पथ पर लाना है।। 💥 सबके मन में प्रीत जगाकर , विश्व बंधुत्व को पाना है। मन की कलुषता मिटे सबकी, ऐसा क

आखिर ऐसा क्यों?

18 अक्टूबर 2019
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🙏🏻आखिर ऐसा क्यों? 🙏🏻"""""""""""""""""""""""""""""""""अचानक से मेरे मन मस्तिष्क पर वह दृश्य नाच गया।घर के चौतरे पर एक घूँटे से बंधी थी वह लाचार माँ। उनकी हृदय को झकझोर देने वाली आवाज ।अब भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं उन दर्दनाक दृश्य को याद कर ।उन दिनों मैं छोटी बच्ची थी ,दर्द हुआ था पर समझ न पाई

बाढ़

18 अक्टूबर 2019
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आदरणीय सभी सदस्यों को व्यंजन आनंद का नमस्कार विषय- -- बाढ़ ।------------------------ 🌹सेमरा का जलकुण्ड🌹 """"""""""""""""""""""""""""दूरान्त तक, असीमित यह जल की प्रचुरता, मानो एक जलधि ही है।पर----निकट से देखा तो-पाया यह तो स्वयं हीप्रकृति काल बनकर-वर्षा का टाण्डव खेल रही

पूनम का चाँद

13 अक्टूबर 2019
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मात्रा- -- 15 🌕 पूनम का चाँद 🌕 """""""""""""""""""" पूनम का चाँद है निकला , जिससे उठे वेग हृदय में । प्रेमी याद करें प्रेम को, जोगी रहे प्रभु प्रणय में ।।यह दिन खेले खेल अनुपम। जड़ चेतन करें सममोहन ।। घने बादल घिर- घिर आए । प्रेम माधुर रस बरसाएँ

भौरा जिया

12 अक्टूबर 2019
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💥💥भौरा जिया 💥💥तुम जो गये हमसे दूर पिया ,दिल के और भी करीब हो गये।यह बात अलग है तुम्हें खो कर, हम मुफलिस और गरीब हो गये।मेरी साँसें, मेरी धड़कन, गाती रहती है इक गीत ।तेरे सिवा न दूजा होगा, तू तो जन्मो का मेरा मीत। दूर मुझे क्यों खुद किया । तुम जो गये हमसे दूर पिया ।।आज जो ये चाँ

शरद ऋतु

10 अक्टूबर 2019
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🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹"""""""""""""""""""""""दस्तक देती शरद ऋतु , मन मुखरित उल्लास ।जूही की खुशबू उड़े, पिया मिलन की आस।।आस किसी की मैं करूँ , जो ना आएं पास ।बाट निहारें दृग विकल टूट रहा विश्वास ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ✍

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