मात्रा- -- 15
🌕 पूनम का चाँद 🌕
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पूनम का चाँद है निकला ,
जिससे उठे वेग हृदय में ।
प्रेमी याद करें प्रेम को,
जोगी रहे प्रभु प्रणय में ।।
यह दिन खेले खेल अनुपम।
जड़ चेतन करें सममोहन ।।
घने बादल घिर- घिर आए ।
प्रेम माधुर रस बरसाएँ ।।
जूही की खुशबू बिखेरे,
पिया मिलन के संग गाए।।
साधक बैठे निशा समाधि,
मन करते मंत्र सम्पात।
मन कालिमा दूर हटाकर,
प्रभु मिलन हो जाएँ हठात।।
जीवन भरते अमृत रस से
माया करें सभी आघात ।।
फिर फंसे राही जाल में,
माया के सभी बवाल में
पूनम का चाँद है रिझाए ,
प्रेम की है राह दिखाएँ
चाँदनी रुठे चकोर से,
क्यों चाँद को पास बुलाए।
देख न तू मेरे प्रीत को,
सुन मेरे दिल के गीत को।
हरपल रहती साथ उनके,
छोड़ू न एक पल मीत को।
तू जाकर किसी 'औ' पर रिझ,
तोड़ न मेरे संगीत को।।
'व्यंजना' रहे प्रेम पागल।
हो हरपल प्रीति में घायल।।
कुछ भी उसे समझ न आएं ।
कृष्ण को वो पास बुलाए।।
कैसी उठे तड़प प्रेम की
पूर्णिमा में 'औ'बढ़ जाएँ ।।
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व्यंजना आनंद ✍