🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹
"""""""""""""""""""""""दस्तक देती शरद ऋतु ,
मन मुखरित उल्लास ।
जूही की खुशबू उड़े,
पिया मिलन की आस।।
आस किसी की मैं करूँ ,
जो ना आएं पास ।
बाट निहारें दृग विकल
टूट रहा विश्वास ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
व्यंजना आनंद ✍
10 अक्टूबर 2019
🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹
"""""""""""""""""""""""दस्तक देती शरद ऋतु ,
मन मुखरित उल्लास ।
जूही की खुशबू उड़े,
पिया मिलन की आस।।
आस किसी की मैं करूँ ,
जो ना आएं पास ।
बाट निहारें दृग विकल
टूट रहा विश्वास ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
व्यंजना आनंद ✍