मात्रा---15, 12
🌹प्रेम पावनी 🌹
**""**""**
टकटकी लगा निहार रहे,
एक दूजे में लीन ।
मन के भीतर चलता रहा,
ख्वाबो का एक सीन।।
तेरे दर से न जाएंगे
मन में जगी है आस।
उठ रही दिलों में सैकड़ों
दबी हुई मिठी प्यास।।
पाकर प्रेम पावनी पिया ,
पीकर होती निहाल।
किसे कहूँ व्यथा ये अपनी
हुई जाऊँ बेहाल ।।
आकर मेरी उठा डोली,
अब न कटते दिन रैन।
जीवन में खुशियाँ तुम भरो,
मिले जीवन में चैन ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
व्यंजना आनंद ✍