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योगेन्द्र ठाकुर के बारे में

मिथिलांचल ग्रामीण परिवेश का एक ब्यक्ति

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योगेन्द्र ठाकुर की पुस्तकें

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योगेन्द्र ठाकुर के लेख

पहली हवाईजहाज यात्रा

22 दिसम्बर 2021
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<p>बचपन की ओ बातें मानस पटल पर किसी फिल्म के रील की तरह धीरे धीरे पलटने लगी थी।सुबह सबेरे घर के सामन

अहं

25 मई 2015
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आयने को देखता अपनी छाँह पर बार बार चोंच से मiरते शीशे में वह लहू लुहान हो गिर परता i फिर उठ दौर दौर वह शीशे में छुपे हमशक्ल को समाप्त करने के फ़िराक में वह गोरैया अपने आपको ' अस्त पस्त करता i उसे क्या पता' शीशे में छुपा वह उसका हमशक्ल है जिसे खत्म करना उसके बश की ब

मृगतृष्णा

8 अप्रैल 2015
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बुढ़िया बैठी सोच रही देखे निसचल आकाश चित प्रसन्न धन्य तन मन फिर क्यों सोचे दिन रात .? उसकी कुटी सबसे बढ़िया जिसमे वो भी जी लेती है गर वो सोता नीलगगन तो वो भी तो सो ही लेती है / वो हँसते हँसते जीता तो रो रो के भी वो जीती है , खाए पू मलीदा वो तो , सुखी रोटी उसकी क्या कम है .? बिना द

रामनवमी

28 मार्च 2015
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रामनवमी के अवसर पर समस्त मिथिलांचल बासी को हार्दिक सुभकामनाएँ मानवीय मूल्यों ,आदर्शों प्रेम एबं सद्भावों का पर्व रामनवमी हम मिथिलांचलबासी के जीबन में अनुकरणीय हो यही कामना

BYATHA

15 मार्च 2015
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अप्पन गाम घर

15 मार्च 2015
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देश राहू , प्रदेश रहू बा बसु धरा धन धाम तैयो हरदम मोने परत अप्पन घर आ गाम l सुख सौं रहब पहिरब बढियें ठाठ बात` बरु नीक रहत चिक्कन चुनमुन खायब बढियें तैयो गामे मोन परत l मोन परत ओ गामक पोखैर जाहि भरल करमी केचुली , जॉ कनियो के मोन परत नहीं नीक लगत इन्वर्टर बिजली l मोन परत जॉ गाम तोँ पह

मिथिलांचलबासी

14 मार्च 2015
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मिथिलांचल बासी से आग्रह सबडनग़री के द्वारा मिथिलांचल से जुड़ें एबं अपना लेख साहित्य कहानी से लोगों को मिथिलांचल की जानकारी दें योगेन्द्र ठाकुर

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