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ज़ुबाँ

6 अगस्त 2015

299 बार देखा गया 299
featured imageदर्द खुद एक ज़ुबाँ बन जाता है ख़लिश कि दास्ताँ कह जाता है कोई तुम सा जो यू मिल गया है कोई अब्र का टुकड़ा ही जुड़ गया है मेरी पेशानी पे कुछ वो लिख गया है ख्वाहिशों कि निशानी "अरु" दे गया है आराधना राय "अरु" (खलिश) Origin: Persian Khalish is an Urdu word, it means "prick, pain, anxiety, apprehension" हिंदी - दर्द , पीड़ा पेशानी - माथा , forehead.-
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ज़ुबाँ

6 अगस्त 2015
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दर्द खुद एक ज़ुबाँ बन जाता हैख़लिश कि दास्ताँ कह जाता हैकोई तुम सा जो यू मिल गया हैकोई अब्र का टुकड़ा ही जुड़ गया हैमेरी पेशानी पे कुछ वो लिख गया हैख्वाहिशों कि निशानी "अरु" दे गया हैआराधना राय "अरु"(खलिश) Origin: Persian Khalish is an Urdu word, it means "prick, pain, anxiety, apprehension" हिंदी - दर

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रंज

13 अगस्त 2015
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रंज़ मेरा था मेरा, मेरे ही साथ रहाउम्र भर आह कि वो ही सौगात रहादफ़न हो गए होते हम यूँ यहीं कहींअब के ज़माना भी मेरे ही साथ रहावो कहे रात तो रात ही बस मेरी सहीगमों का सौदा था हमनें हँस के सहाजानें कौन बिज़लियाँ रोज़ गिराता रहा ज़मी पे "अरु"अजब सा कुफ़्र ढाता रहाआराधना राय "अरु "Rai Aradhana ©-------------

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तिरंगा

15 अगस्त 2015
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पिछले साल यकायक वो मिल गयाअचंभित हो उसे झुक कर उठा लियाफटे हाल था फिर भी मुस्कुरा रहा थाअपना नाम भी तिरंगा बतला रहा थामैंने पूछा क्या मिला तुझे ए यू तिरंगेबेमतलब पैरों तले मसला ही तू गयाअमेरिकन या ब्रिटिश में रह गया होता मध्य वर्गीय लोगों सा नहीं पीटा होता बैक से ऋण ले अपने आप को रो रहे हैना जाने

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बसेरा

19 अगस्त 2015
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बसेरा-----------------------------------------बारिशों में घर की छत टपकती रहीसाथ मेरे यूँ पूरा समंदर रहाआशिया प्यार का था बताते भी क्या मेरे घर में राहतों का बसेरा रहाना मालूम कैसे वो हालत थेजिन मैं आदमी 'अरु' मर के भी जी गयाआराधना राय "अरु "Rai Aradhana ©

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सितम

22 अगस्त 2015
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-----------------------------------------खुल गए रास्ते ,बात अब सब आम हुईयूँ ही झंडे पकड़ हाथ में अब हड़ताल हुईदेखों जिसे चेहरा ही अजब लिए फिरता है भीड़ में आदमी दीवाना सा क्यों लगता हैहर एक शख़्स तुला है अपनी ही कहने कोबिसात पे रखा हुआ प्यादा सा ही लगता हैरोज़ बढ़ जाती है गरीब कि लड़की की तरहबढ़ती मँहगाई द

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न हुआ

7 सितम्बर 2015
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मेरा बाहर से राब्ता न न हुआ गैर का घर में दाखिला न हुआ मिल गए थे हमारी धड़कन में उनसे थोड़ा भी फासला न हुआ आँधियाँ चल पड़ी हैं गर्दिश की अब तो अपनों का आसरा न हुआ हादिसे वस्ल के नहीं कम हैंतू भी अच्छा हा बावफा न हुआआराधना राय "अरु"

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दोस्तो देख लो

14 मार्च 2016
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करम कैसा ये उल्फतो का अजब है दोस्तो देख लोपड़े हैं  उनकी  रहमतो पर गज़ब  दोस्तो देख लोखतावार  हुआ खुद  गम का  शिकार रास्ता देख लोरहम यहाँ किस के दिल के करीब  दोस्तों देख लोकड़ी दरवाजे की बंद कर के दुनियाँ  से वास्ता देख लोआँख बंद कर के सहरा -ओं के सराब  दोस्तों देख लोबड़े अदब का क़ायदा रिवायत उनकी कायदा

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कभी कभी

30 मई 2016
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दास्ताँ  दिल  कि  दिल में  जली जाती  है,,,, आह  दिल  से  निकल  कर  और  कहाँ  जाती  है   इंसान  को  कितना  सच  बोलना  चाहिए  उतना  जितना  महात्मा  गांधी  ने  बोला   या  उतना  जितना  नेहरु  ने  बोला ,इंसान  को  कितना  सच  बोलना  चाहिए  उतना  जितना  महात्मा  गांधी  ने  बोला   या  उतना  जितना  नेहरु  ने

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गीत

2 सितम्बर 2016
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प्रीत हूँ गीत बन कर साथ निभा जाऊँगी हर साँस में गुनगुनाती शहनाई बन जाऊँगी बोलो मीत मेरे तूम कैसे सुर से सुर मेरेसंगहंस कर मिलोगे पात जो मिला फूलबन महक जाऊँगाधारा बन जो गया निर्झर गीत बन तुम्हेहर रंग में निखार दूँगाधुप तूम बनी चमकती तरु हि

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