बीता लम्हा था क्यों याद करे किससे जीने कि फरियाद करें गम मिला जिन्हें उम्र भर मिला घर उनका खुशियों से शाद करें दर्द ए दिल का आज मातम करेंकल नए सपनों को हम साद करेंउठे हो हाथ दुआ के लिए गर तिरे
1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की <span style="line-height: