दास्ताँ दिल कि दिल में जली जाती है,,,, आह दिल से निकल कर और कहाँ जाती है
इंसान को कितना सच बोलना चाहिए उतना जितना महात्मा गांधी ने बोला या उतना जितना नेहरु ने बोला ,इंसान को कितना सच बोलना चाहिए उतना जितना महात्मा गांधी ने बोला या उतना जितना नेहरु ने बोला । झूठ बोलना कला क्योकि उतना ही बोलना चाहिए जितना किसी का दिल ना टूटे अगर घर किसी के झूठ से टूटे और किसी को सिर्फ मजे आए तो ऐसा झूठ महापाप है । इसलिए कभी - कभी झूठ बोलना भारी पड़ जाता है कभी ज़रूरत से ज्यादा सच । जो सच किसी कि जान ले इज़्ज़त ले वो सच कहाँ ... जो झूठ किसी से बोल किसी कि ज़िन्दगी से कोई खेल जाए वो ना खेल अच्छा ना लोग ।
,,,,,,,,,,कभी कभी मन इन्ही बातो से दुखता है ।