हैलो सखी ।
कैसी हो हम अच्छे हैं।फोन की खराबी के कारण तुम से मुलाकात नहीं हो पा रही थी ।अब नया फोन आ गया है।अब होगी बात । मुलाकात
आज का विषय:- प्रद्योगिकी और उसके प्रभाव
प्रौद्योगिकी स्तर, किसी देश के आर्थिक विकास के सूचक का कार्य करता है । अल्प विकसित देशों में प्रौद्योगिकी परिवर्तन के कार्य कठिन होते हैं क्योंकि पिछड़ी हुई पूर्व-औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं की सामाजिक व्यवस्था, किसी महत्त्वपूर्ण स्तर तक प्रौद्योगिकी सुधार लाने में सहायक नहीं होती ।
देखा जाता है कि उचित तकनीकी परिवर्तनों की अनुपस्थिति आर्थिक वृद्धि के मार्ग में बाधा बनती है । इसलिये, आर्थिक वृद्धि के संवर्धन के लिये आवश्यक है कि नई तकनीकों का अन्वेषण किया जाये और औद्योगिक रूप में उन्नत देशों से प्रौद्योगिकी का आयात किया जाये ।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के अवलोकन अनुसार- ”जब तक विशेष प्रयत्न नहीं किये जाते, अल्प विकसित देशों में प्रौद्योगिकी विकास की प्रक्रिया सापेक्षतया धीमी होगी तथा विकसित देशों में संचयी वैज्ञानिक उन्नति के बढ़ने से तकनीक में अन्तराल विस्तृत होता रहेगा ।”
प्रौद्योगिकी के प्रभाव का तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।. वे इस प्रकार हैं: -
- सामाजिक निहितार्थ
- आर्थिक निहितार्थ
- संयंत्र स्तर में परिवर्तन
- शैक्षिक प्रभाव