प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। युनेस्को ने 17 नवंबर, 1999 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब होता है / अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब मनाया जाता है -
प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी सोमवार के दिन मनाया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास -
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास के अनुसार यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आंदोलन दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन 1952 से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। 2008 को अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर महत्व दिया था। यही कारन है की मातृभाषा को महत्व देते हुए हर साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
मातृभाषा किसे कहते हैं -
जन्म के बाद प्रथम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। जन्म से जो हम संस्कार एवं व्यवहार पाते है वे हम इसी के द्वारा पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का अपनी मातृभाषा है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना ही मातृभाषा दिवस मनाने का मुख्य उद्श्य है।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाते है -
युनेस्को द्वारा प्रतिवर्ष 21 फरवरी 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। जन्म के बाद प्रथम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। जन्म से जो हम संस्कार एवं व्यवहार पाते है वे हम इसी के द्वारा पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का अपनी मातृभाषा है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का उद्श्य है। किन्तु आज भारतीय बच्चे अपनी लोकभाषा जिसमें हमें कम से कम गिनती तो आनी चाहिए उसे भूलते जा रहे हैं। इससे लोकभाषा में गणित करने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है। छोटे बच्चे को पहली से चौथी कक्षा का गणित लोकभाषा में पढ़ाया जाता था जो की अब धीरे धीरे यह प्रथा लुप्त होती जा रही है। लोकभाषा, मातृभाषा में बच्चों का बात ना करना अब एक फैशन हो गया है। इससे गाँव और शहर के बच्चों में दूरियाँ बढ़ती हैं। इस दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है ।
अब चलती हूं सखी अलविदा।