अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस(21 फरवरी)विविध भाषाई लोग हैं बसते, महकते हुए उद्यानों में।जहां मधुर-मधुर संगीत सुनाते,मधुर-2 अल्फाजों में।नाना विधि भाषा के बंदे, दरबारों की दरकार है।अलग-अलग है मातृभाषा,
प्रिय सखी।कैसी हो ।अब तो पूरे दिन के बिजी शेड्यूल में से कुछ पल तुम्हारे लिए चुराने ही पड़े गे। क्योंकि महीना भी फरवरी का है और हम साथ लेख पीछे है अपनी डायरी को कमपलीट करने में।व्यस्तता की इतनी अति है
मातृभाषा का अर्थ : मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ हैं, माँ की भाषा। जिसे बालक माँ के सानिध्य में रह कर सहज रूप से सुनता और सीखता है। ध्यान योग बात यह है कि मातृभाषा को बालक माता-पिता, भाई-बहन अन्य परिवार
जब मनुष्य जन्म लेता है तो सबसे करीब उसे जन्म देने वाली माँ होती है। वह माँ के भावो को समझती है।उस समय वह शिशु कोई भाषा नहीं जानता है। केवल स्पर्श की भाषा समझता है। धीरे-धीरे वह बच्चा अपने करीबी को
आज 21 फरवरी, इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है। वर्ष 1999 में यूनेस्को ने इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था सन 2000 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मात
दुनियाभर में 21 फरवरी को "अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में अपनी भाषा-संस्कृति (Language culture) के प्रति लोगों में रुझान पैदा करना और जागरुकता फै
मातृभाषा जीवन का आधार है, मातृभाषा ही जीवन का अहम भाग हैमातृभाषा से बढ़कर ना कुछ है, बस यही एक-दूसरे का विश्वास है ।मातृभाषा को सम्मान देंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस बढ़ावा देंगे।बोलने में हम खुशी मह