कैसी हो ।हम अच्छे हैं । सरसों का साग बना रहे थे आज शोप से छुट्टी ली है । बहुत से काम बाकि थे घर के ।हमें पता है एक बिजनेस वूमन और गृहणी की भूमिका हम कैसे निभाते हैं।दो दिन अगर ढ़ंग से खाना ना मिले तो पतिदेव का मुंह चढ जाता है "तुम करती ही क्या हो सारा दिन फोन में ही घुसी रहती हो।"अब इन्हें कौन बताए कि लेखक होते हुए हमारे भी कुछ जिम्मेदारियां हैं।फोन केवल मनोरंजन के लिए नहीं होता।
पश्चिम से लेकर दक्षिण तक दुनिया के तमाम देश अब धीरे-धीरे अपने ट्रांसपोर्टेशन को ई-व्हीकल्स की तरफ शिफ्ट कर रहे हैं. ऐसे में भारत के जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार का मिलना किसी जैकपॉट लगने से कम नहीं है. देश में पहली बार लिथियम का भंडार मिला है और ये भी कोई छोटा मोटा भंडार नहीं है. इसकी कुल क्षमता 59 लाख टन है, जो चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है.
इस खोज के बाद भारत लिथियम कैपिसिटी के मामले में तीसरे नंबर पर आ गया है. लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक-व्हीकल समेत कई आइटम्स के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है. इस रेअर अर्थ एलिमेंट के लिए भारत अभी दूसरे देशों पर निर्भर है.
भारत के लिए ये खोज बड़ी करामाती साबित हो सकती है. अभी तक भारत में जरूरत का 96 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है. इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लिथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपए खर्च किए थे. इसके अगले साल यानी 2021-22 में भारत ने 13,838 करोड़ रुपए की लिथियम आयन बैटरी इम्पोर्ट की थीं.
भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी ये खोज
भारत लिथियम का सबसे ज्यादा आयात चीन और हॉन्गकॉन्ग से करता है. साल दर साल आयात की मात्रा और रकम में जोरदार इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भारत 80 फीसदी तक लिथियम का आयात चीन से करता है. लेकिन अब देश में लिथियम का जो भंडार मिला है, वह चीन के कुल भंडार से करीब 4 गुना ज्यादा है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ाने के बाद से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है.
लिथियम भंडार वाला तीसरा बड़ा देश बनेगा भारत
अगर दुनियाभर में लिथियम भंडार की स्थिति को देखें तो इस मामले में चिली 93 लाख टन के साथ पहले नंबर पर है. वहीं ऑस्ट्रेलिया 63 लाख टन के साथ दूसरे नंबर पर है. कश्मीर में 59 लाख टन भंडार मिलने से भारत तीसरे नंबर पर आ गया है. अर्जेंटीना 27 लाख टन भंडार के साथ चौथे, चीन 20 लाख टन भंडार के साथ पांचवे और अमेरिका 10 लाख टन भंडार के साथ छठे स्थान पर है.