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इंतकाम भाग-1

26 जुलाई 2019

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K.G.M. डीग्री कॉलेज में होली की छुट्टियाँ हो गयी थी ।सभी पर होली का खुमार छाया हुआ था । कॉलेज के कैंपस में होली का उत्सव मनाया जा रहा था । चारो तरफ रंगों की फुहार थी । सभी दोस्त एक दूसरे को रंग गुलाल लगाने और होली की बधाइयां देने में व्यस्त थे। चारो तरफ हँसी ख़ुशी का माहौल व्याप्त था। सभी होली की मस्ती में मस्त नाच गा रहे थे । आखिर कॉलेज में दोस्तों के साथ होली खेलने का अपना अलग ही मजा है। जैसे हर जगह कोई न कोई असामाजिक  तत्व होते है जो हर ख़ुशी में रंग में भंग डालने का काम करते है वैसे ही उस कॉलेज में भी छ लड़को का एक समूह था जो पूरे कॉलेज में लोगो को परेशान करने के लिए जाना जाता था । किसी को सताना, परेशान करना , किसी लड़की को छेड़ना या कोई भी काम जिससे किसी ना किसी को तकलीफ जरूर हो ,ऐसा कोई भी काम बाकी नही था । उन लड़को के मुँह ना लगना और उनसे दूर रहना ही सभी उचित समझते थे। उस समूह का मुखिया रेयान था जो कि एक रईस खानदान का बिगड़ा हुआ बेटा था। रोमिल,राघव,दर्श ,दिलीप और हेमंत उस ग्रुप के अन्य लोग थे ,जिसमे से राघव ही गरीब परिवार से था और थोड़ा स्वभाव का अच्छा लड़का था पहले तो उनसे दूर रहता था लेकिन अब उसके स्वभाव में भी परिवर्तन आ गया था । कही ना कही उनके साथ और पैसो की चमक ने उसे बदल दिया था । जैसे ही वो पूरा ग्रुप कॉलेज के मैदान में आया वहाँ होली के उत्सव में उपस्थित सभी लड़के लड़कियाँ वहाँ से चले गए। केवल वो लोग और उनका सपोर्ट करने वाले ही वहाँ पर बचे थे। रेयान के पापा की पहुँच और कॉलेज के ट्रस्टी होने के कारण वहाँ का मैनेजमेंट भी उन लोगो के मुँह लगना अच्छा नही समझता था । शाम तक वो वहाँ नाचते कूदते और साथ में ड्रिंक भी करते रहे जबतक वो सब थक नही गये। सब नशे में चूर एक दूसरे हैप्पी होली बोलते हुए घर के लिए निकल पड़े। हेमंत अपनी बाइक से अपने घर जा रहा था तभी उसे याद आया कि आज उसके घर में कोई नही है तो उसने बाहर से खाना पैक करने का सोचकर एक ढाबे से खाना पैक करा लिया और घर के लिए निकल पड़ा । अपने घर के पास पहुँच कर उसने बाइक खड़ी की और सीढ़ियों की तरफ बढ़ा तभी उसे महसूस हुआ की कोई उसका पीछा कर रहा था उसने पीछे मुड़ कर देखा वहाँ कोई नही था । हेमंत अपने कमरे में पहुँच कर खाने के पैकेट को मेज पर रखकर बाथरूम में मुँह हाथ धोने गया। मुँह धोने के बाद वो सीसे में देखते हुए तौलिये से मुँह पोछने लगा । तभी उसे लगा किसी ने पीछे से उसका गला पकड़ लिया हो और सामने उसे सीसे में एक काली परछाई जैसी दिखी ।एकदम से उसके मुंह से चीख निकल जाती है और वो डर जाता है। देखता है तो वहाँ कोई नही होता । थोड़ा नशे में होता है इसलिए अपना वहम सोचकर बाहर हॉल में आ जाता है और किनारे पड़े बिस्तर पर हाथ फैला कर पसर जाता है। कॉलेज में खूब थक जाने के कारण उसे भूख भी लग रही होती है तो वो किचन से प्लेट और पानी का गिलास लेकर खाने बैठ जाता है। वो खाना खाने ही वाला होता है उसके किनारे से एक परछाई गुजरती दिखती है वो उधर देखता है तो कोई नही दिखता इधर प्लेट से चम्मच अपने आप ऊपर उठता है और हेमंत के फिर सामने देखने पर वो चम्मच फिर उसी प्लेट में रख जाता है । ऐसा कई बार हुआ । फिर अचानक से एक आवाज आई हेमुऊऊऊऊऊ.......... ककककककक कौन कौन है वहाँ ......... लेकिन उसे कोई नही दिखाई दिया ।कभी  लगता ऊपर से आवाज आ रही कभी लगता दाई तरफ से तो कभी बायीं तरफ से । हेमंत का नशा पूरी तरह उतर गया था । उसे डर लग रहा था । उसे खाना खाने की भी हिम्मत तक नही हो रही थी । उसने खाना उठाया और अपने कमरे में चला गया । कमरे में जाकर उसने रोमिल को फ़ोन किया और यहाँ की सब बातें बताई । "रोमिल यार मुझे बहुत डर लग रहा है । मेरे घर में किसी की आवाजें आ रही है और कोई है जो दिखाई भी नही दे रहा । तू जल्दी से आ जा मेरे घर।"  हेमंत डरते हुए रोमिल को फ़ोन करता है। "अरे यार पागल हो गया है क्या , भांग चढ़ा लिया है क्या जो ऐसा बोल रहा है। पानी पी और सो जा कल मिलते है।" मजाक करते हुए रोमिल ने कहा। "अरे यार सच कोई है यहाँ ,मेरा तो सारा नशा उत्तर गया हैं।" "दिमाग मत ख़राब कर , अब सोने दे बहुत थका हुआ हूँ " कहते हुए रोमिल ने फ़ोन कट कर दिया। इधर हेमंत का डर के मारे बुरा हाल था। भूख भी लग रही थी तो उसने सोचा पहले खाना खा लूँ फिर चुप चाप सो जाऊ । यह सोचकर उसने खाने का पहला निवाला जैसे ही मुँह में डाला उसके सामने अचानक से एक काला साया सा आ गया और डर के कारण खाना गले में फॅस गया । साँस लेने में तकलीफ सी होने लगी । पानी पीने के लिए गिलास उठाया लेकिन वो भी हाथ से छूटकर गिर पड़ा। गले में कोई चीज उसे जकड रही है । वो दोनों हाथों से उसे छुड़ाने की कोशिश कर रहा था । सांसे अटक रही थी और साँस लेंने में तकलीफ हो रही थी । तभी उसने देखा उसके सामने सफ़ेद साड़ी पहने ,एक लड़की खड़ी थी ।उसकी नजरे नीचे से ऊपर उसकी तरफ गयी और उसके चेहरे को देखकर वो सहम गया। डर के मारे उसके हाथ पैर फूलने लगे। आँखे बड़ी बड़ी हो गयी , ऐसा लगा उसका कोई बुरा अतीत उसके सामने आकर खड़ा हो गया हो। "तुम्ममम्ममम्ममम्ममम्म , मुझे माफ़ कर दो। कभी ऐसी गलती नही करूँगा ।" दोनों हाथ जोड़ते हुए बहुत मुश्किल से ये शब्द उसके मुँह से निकल पाये थे । "तुम सब मरोगे , कोई नही बचेगा । तड़प तड़प कर मारूँगी ।" बहुत भारी और डरावनी आवाज में पूरे कमरे में गूंज रही थी। हेमंत के गले में पड़ा अदृश्य फंदा उसके गले को और जकड़ता जा रहा था और वो चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था। हाथ पैर छटपटा रहे थे । उस कमरे से बस हँसी की आवाजें आ रही थी । कुछ समय बाद हेमंत की सांसे रुक गयी और वो उसी बिस्तर पर बेसुध हो मृत प्राय हो चूका था। सुबह उसकी लाश देखने लायक नही थी। इतनी बेदर्दी से उसकी मौत पुरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ था। उसकी मौत का राज एक राज बनकर रह गया था । आखिर किसने उसे मारा इतनी बेदर्दी से , क्या दुश्मनी थी उसकी उस लड़की से। किस किस को वो मारना चाहती थी और क्यों .....................इन सवालों के जवाब अगले भाग में.. क्रमशः शशि कुशवाहा

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