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"आदमी"

6 सितम्बर 2017

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✍🏻 आदमी। ✍🏻 """""""""""""""""""""""""""" दुनियां बियाबान है और जमीं पर नहीं आदमी दूर तक तलक ढूँढें फिर भी नजर नहीं आदमी फ़रेब नदी के किनारे,लम्बी क़तार का साया भी है ख़ामोश दरिया जरूर हैं मगर संगतर नहीं आदमी बदलते रहे जिन्दगी के अन्दाज और चेहरे उम्र भी हैरान है पर खुश भर नहीं आदमी जल-जल कर थक गये धागे रोशनी के घर में और मोम भी पिघला,पिघला मगर नहीं आदमी जिस ढ़ंग से मुखौटों में छुपकर चल रहे हैं लोग कहीं चौराहों पे टंगा हुआ इश्तहार नहीं आदमी चलते है बेतरतीब सी राहों पर जमाने के लोग खा कर संबंध सारे फिर भी खुंखार नहीं आदमी गोविन्द सिंह चौहान★ 05-09-17

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✍🏻 विवश होती कविता✍🏻""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""गोविन्द सिंह"""""""""""""""कवि सम्मेलनों की रात मेंमाईकों पर चढ़ती रही कविताविविध श्रृंगारों मेंश्रृंगारित कविताचांद- सितारो से सजीगीत-गानों में रचीप्यार पर बेहयाई उस रात भी हुईशर्माती,सकुचाती रही कविताबागबां की कथा कलियों-फूलों के कूँचों

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6 सितम्बर 2017
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"क्योंकि तुम युवा हो...

6 सितम्बर 2017
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आजादी के दिवाने

19 सितम्बर 2017
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✍🏻आजा़दी के दिवाने...✍🏻द़ाग गुलामी का धोकर वोे रंग आज़ादी का ले आऐ।मस्तक बोकर धरती में,दुशमन से शहजादी ले आऐ।।सन् सत्तावन के महासमर में मंगल पाण्डे वीर लड़ा था।काटे मस्तक दुश्मन के,गोरों का दल कमजोर पड़ा था।।लक्ष्मी थी वो दुर्गा थी मराठी स्वयं वीर अवतारी थी।देख मराठे पुलकित होते वो युद्ध सिंहनी एक न

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