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"क्योंकि तुम युवा हो...

6 सितम्बर 2017

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✍🏻क्योंकि तुम युवा हो..✍🏻 """"""""""""""""""""""""""""""""""" मन भटक रहा है तुम्हारा अभी और भाग रहे हो सब कुछ पाने को एक पल में आकाश छू लेने को आतुर है मन तुम्हारा आकुल है,व्याकुल है कुछ कर गुजरने को अपनी फौलादी मुठ्ठी में मंजिल की राह भरने को क्योंकि तुम युवा हो। जिन्दगी के लिऐ तुम्हारा लोभ बन रहा है "मैं"बन रहा है मैं यह करूँगा,मैं वो करूँगा ऐसा अंहकार बन रहा है कच्चा है अभी जो बन रहा है। जिन्दगी के झंझावतों की सलवटों का अंदाजा नहीं है तुम्हें, मेरा लोभ,अंहकार,आरजुएं पक गई हैं करने को अब कुछ नहीं किया उसे गिन रहा हूँ मृत्यु के करीब जाकर अतीत के पलों को पी रहा हूँ उम्र की आंधी में उड़ चुके समय को बस! जी रहा हूँ। मेरी बात अभी तुम्हारी समझ में आऐगी नहीं यह गत,आगत,अनागत की बात है जवान हुऐ तो अभी कुछ करना है जिन्दगी को किस्सों ,कहानियों के रंगों से भरना है। जीवन पलों में जान भर दो उम्र की गंगा में पवित्र नीर भर लो ना हो पश्चाताप ऐसा काम कर लो खोखले ऊसूलों का भय मिटा दो जिन्दगी सुर में सधी इक गाती रागिनी बना लो पीकर अंधेरों को तुम जिन्दगी को उजाले उगलना सिखा दो मिट जाऐंगे सारे मैं,अंहकार, लोभ,लालच गंध मनुजता की लेकर सबको महका दो।। 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 गोविन्द सिंह चौहान

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"आदमी"

6 सितम्बर 2017
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✍🏻 आदमी। ✍🏻""""""""""""""""""""""""""""दुनियां बियाबान है और जमीं पर नहीं आदमीदूर तक तलक ढूँढें फिर भी नजर नहीं आदमीफ़रेब नदी के किनारे,लम्बी क़तार का साया भी हैख़ामोश दरिया जरूर हैं मगर संगतर नहीं आदमीबदलते रहे जिन्दगी के अन्दाज और चेहरेउम्र भी हैरान है पर खुश भर नहीं आदमीजल-जल कर थक गये धागे

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19 सितम्बर 2017
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