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आजादी के दिवाने

19 सितम्बर 2017

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✍🏻आजा़दी के दिवाने...✍🏻 द़ाग गुलामी का धोकर वोे रंग आज़ादी का ले आऐ। मस्तक बोकर धरती में,दुशमन से शहजादी ले आऐ।। सन् सत्तावन के महासमर में मंगल पाण्डे वीर लड़ा था। काटे मस्तक दुश्मन के,गोरों का दल कमजोर पड़ा था।। लक्ष्मी थी वो दुर्गा थी मराठी स्वयं वीर अवतारी थी। देख मराठे पुलकित होते वो युद्ध सिंहनी एक नारी थी।। कुँवर सिंह जगदीशपुर वृद्ध शूरवीर राणा राजपूत था। गुरिल्ला युद्ध शिकारी, ब्रिटिश सेना पर भारी बहुत था।। मंगल पाण्डे वीर सिपाही देशभक्त वीर दिलदारा था। उसके सिंहनाद से कांपा ह्युजसन एक गोरा हत्यारा था।। कर्नल बिली को गोली मारी वो युवा मदन धींगरा था। भारत माँ का सेवक फाँसी पर भी आजादी को पुकारा था।। भारत माता की जय के नारे शहादत तक लगाता रहा। देश-धर्म का रक्षा संकल्प, तात्याँ सबको सिखलाता रहा।। बुढ़ा शेर शाह जफर, शहजादे राष्ट्र हित कुर्बान किये। म्यांमार की जेल मरे जफर दफ़न हो कब्रिस्तान हुऐ।। स्वतंत्रता सेनानी लाजपत राय की अजब कहानी थी साइमन का लठ खाकर भी खून में उनके रवानी थी। सशस्त्र संघर्ष,बंग भंग नेता रास बिहारी बोस हुऐ। अवध बिहारी,बाल मुकुंद, जतिन, हरदयाल,घोष हुऐ।। आजादी की आहूती में ना जाति थी ना धर्म था। त्यागी-बलिदानी,सेनानियों का समर कर्म था।। उम्र अभी कईयों की कम थी वो मनुज नहीं अवतारी थे। क्रांति के प्रेरक बने वीर वो समर्पित सच्चे अधिकारी थे।। भगत सिंह वो राजगुरू,सुखदेव,चन्द्रशेखर आजाद जान हुऐ। स्वाधीनता के परवाने,तिरंगे को फहराकर गौरव गान हुऐ।। मिली खून की होली से जो आज़ादी हिन्दुस्तान को। उठो,जागों आज अभी से,सलाम करो हिन्दुस्तान को।। 💐💐💐💐💐💐💐💐 गोविन्द सिंह चौहान

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