✍🏻🕷🕸जिन्दगी🕸🕷✍🏻
"""""""""""""""""""""""""""""""
सांसों की सरगम में सिकता हुआ
मानव तन-मन से
सवाल सीधा ज़हन में
तपता हुआ आता है
जिन्दगी क्या है??
सच कहूँ तो.....मुझे लगता है,
दुःख का पान लगाती
सुख का कत्था छाँटती
खुशियों का मुँह लाल करती
लाल-गुलाल हैं जिन्दगी।
सवालों-जवाबों की सरहदों में
उलझती-सुलझती जीवन के
निश्चल पथ पर रोती हुई एक
खाली पन्नों की
किताब सी हैं जिन्दगी।
नित नये पदार्थों के मिश्रण व
पतन में मशगूल... निरन्तर
कभी बीज,कभी पेड़
कभी पतझड़,कभी बसंत बनाती
उत्थान और पतन की
एक प्रयोगशाला सी है जिन्दगी।
जिन्दगी के मुसाफिरों
होशियार रहना...
कड़ी धूप को परेशानियों के
पहाड़ पर टांगकर,
साथ में चन्द राज छिपाती
हसीना के हिज़ाब सी है जिन्दगी।
कभी जेठ सी धूप
कभी सावन सी छाया
कभी सच का रूप
कभी झूठ का साया
खुशदिल मन तो कभी उदास लगे
तन्हाई में दुश्मन भी पास लगे,ऐसे
फ़लसफों की किताब हैं जिन्दगी।
रिश्तों के जाल में
मन के जंजाल में
खुबसूरत सी तितली सा जीवन
एक छोर से छुटा तो
दूसरे में उलझ-उलझ जाता
मकड़ी जाला सी है जिन्दगी।
कुछ नहीं बस! एक खेल है
जिन्दगी.....
शतरंज की बिसात में
कभी शह कभी मात
जिन्दगी बचपन में रंगीन एलबम
जवानी सपनों का चित्रण
बुढ़ापे में बची सांसों की
मुस्कुराहटों का फोटोस्टेट हैं जिन्दगी।।।
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
गोविन्द सिंह चौहान
17-09-17