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अपने काम में ईमानदारी

14 अप्रैल 2017

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दोस्तों हम सभी कोई न कोई काम जीवन में अवश्य करते हैं। काम करना ही हमारे जीवन का निर्वाह करने में सहायक है। जाहिर सी बात है के अपने पेट को भरने के लिए हमें काम तो करना ही पड़ेगा। पर क्या हम अपना काम ईमानदारी और पूर्ण कर्तव्य के साथ करते हैं?क्या हमारे काम से हमें ख़ुशी मिलती है? या फिर हम दूसरों के साथ होड़ की अंधी दौड़ में शामिल हैं। इस तरह के प्रश्न जब हम अपने आप से पूछना शुरू करेंगे तो हम अपने काम को बेहतर बना सकेंगे। काम कोई भी हो अग़र हम उसमें पूरी शिद्दत के साथ अपने किरदार को निभाते हैं। हम अग़र वही रोल प्ले करंगे जो हमारा काम है, अपने काम में डूबना, उसमे पागल होना ही हमारे काम से हमारी ईमानदारी है। तब इसका नतीजा यह होगा की जब हम पूरी तरह से अपने काम में पागल हो जाएँ, तब हम वो मुकाम आसानी से पा सकते हैं जो हमारी बैचनी और नीदों में समाया हुआ है। क्या बेहतर कर सकते हैं हम- 1.अपने काम और उससे बनती हमारी स्थिति को पूर्णता स्वीकार करें। 2.अपना द्रष्टीकोण सकारात्मक रखें। 3.काम को पूर्णता व्यवहार में लाने की आवश्कयता है। 4.अपने काम की तारीफ ख़ुद से करें, और अच्छा महसूस करें। 5.ख़ुद पर विस्वाश करें। जब हम यह अपने व्यवहार में लाते हैं तो हम अपने काम को पूरी तरह से समपर्ण से करते हैं।
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अपने काम में ईमानदारी

14 अप्रैल 2017
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दोस्तों हम सभी कोई न कोई काम जीवन में अवश्य करते हैं। काम करना ही हमारे जीवन का निर्वाह करने में सहायक है। जाहिर सी बात है के अपने पेट को भरने के लिए हमें काम तो करना ही पड़ेगा। पर क्या हम अपना काम ईमानदारी और पूर्ण कर्तव्य के साथ करते हैं?क्या हमारे काम से हमें ख़ुशी मिलती है? या फिर हम दूसरों के सा

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सोशल टच का कमाल

27 अप्रैल 2017
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प्रिये मित्रों, एक अनुरोध करना चाहूँगा,मेसेज थोड़ा लम्बा और बोरिंग हो सकता है, लेकिन ये वादा करता हूँ क़ि फ़िजूल और बेमतलब का बिलकुल भी नही है, आपका ये मित्र दीपक वीजे एक छोटा सा प्रयास किसी विशेष व्यक्तिव के आग्रह करने पर करने की कोशिश कर रहा है। मित्रों हम सभी

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माँ तुमने मुझे बनाया.....

30 अप्रैल 2017
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माँ तूमने मुझे बनाया...........☺माँ तूमने मुझे बनाया..........उंगली पकड़ के तुमनेचलना सिखाया,मेरे नन्हें क़दमों को,जमीं पे ठहराया,माँ तूमने मुझे बनाया..........जब लगी चोट मुझको,चुनरी को फाड़, मलहम तुमने लगाया,रोया में आँसू भर- भर,तुमने गले लगाया,माँ तूमने मुझे बनाया..........धूप में अपने आँचल में,मुझक

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facebookiya, फेसबुकिया

6 मई 2017
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कुछ जाने ,कुछ पहचाने,कुछ पगले और कुछ दीवाने से दोस्त इस फेस को कवर करने वाली बुक ने बना रखे हैं। ये बुक है,और यहाँ हर कोई बुक है।😂कहने को तो फेसबुक है,लेकिन बड़ी ही बक-बक है।कभी-कभी तो जान न पहचान,सलाम भाईजान! पर यह भी जरुरी है. यहाँ इस बुक में सारे पात्र हैं, मिश्रा जी से लेकर शर्मा जी,वर्मा जी और

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बिलीव इन योर सेल्फ

10 अक्टूबर 2017
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