प्रिये मित्रों, एक अनुरोध करना चाहूँगा,मेसेज थोड़ा लम्बा और बोरिंग हो सकता है, लेकिन ये वादा करता हूँ क़ि फ़िजूल और बेमतलब का बिलकुल भी नही है, आपका ये मित्र दीपक वीजे एक छोटा सा प्रयास किसी विशेष व्यक्तिव के आग्रह करने पर करने की कोशिश कर रहा है। मित्रों हम सभी आज नए युग में हैं और पूर्णता शिक्षित हैं,चलों इतने शिक्षित तो हैं की व्हाट्सप्प और फेसबुक तो चला ही सकते हैं,मतलब चला ही रहे हैं।हम आये दिन, हर घण्टे कुछ न कुछ सोशल मीडिया के जरिये अपने दोस्त, परिवार,ग्रुप्स में भेजते रहते हैं।वाह! कितना अच्छा है,आज हम लोग दूर होते हुए भी एक दूसरे से काफी हदतक टच में हैं और हमारे हाथ में भी टच फोन है।इस टच का कमाल तो देखिये,ज़रा भी कोई भी मेसेज हमारी भावनाओ (फीलिंग्स) को टच हुआ,हमने इसे आगे फॉरवर्ड कर दिया।बिना सोचे ही चाहे कुछ भी हो,हमारे दिल को तो छु गया भाई!अब किसी की नही सुन सकते।☺ दोस्तों हमारा इस तरह का अंदाज एक और तो ठीक है,लेकिन अगर बात करें इसके दूसरे पहलू पे तो ये सोचने लायक है। जैसे- पापा का नाम अशोक कुमार व माता का नाम गुड्डी बता रहे है। पिलिज आपके पास जितने भी group है पिलिज उसमें सेंनड करो। अब इस मेसज को देखे तो न तो इसमे जगह का नाम है और न ही दिनांक, अब ऐसे में गुड्डी और पप्पू मिल भी जायेंगे तो भी हमें पता नही चलेगा,और हम ये मेसेज बार बार भेजते रहेंगे,और शायद! जब तक ये नन्हे मुन्हे,गुड्डी और पप्पू, युवा हो जायेंगे!👍।हम लोग हद तो तब भी करते हैं,जब वो गायों से भरा ट्रक वाला मेसेज हमारे पास आता है हम आज भी उस ट्रक को पकड़वाने में लगे रहते हैं,जबकि ट्रक कबका पहुच गया☺। बस इतना ही कहना चाहूँगा क़ि बंद करो इस तरह क़ि समाज सेवा(भर्मित जानकारियों से युक्त) भरना करते रहो जानवरों की तरह "ईट स्लीप रिपीट" क्या फर्क पढ़ता! हाँ फर्क पढ़ता हे तो केवल बुद्दिजीवियों को पर वह ऐसा कतई नहीं करते,अब आप सोच सकते हैं।आप अपने आप को कहाँ रखते हैं। धन्यवाद!👍💐💐💐 @दीपक वीजे सेन।