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सोशल टच का कमाल

27 अप्रैल 2017

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प्रिये मित्रों, एक अनुरोध करना चाहूँगा,मेसेज थोड़ा लम्बा और बोरिंग हो सकता है, लेकिन ये वादा करता हूँ क़ि फ़िजूल और बेमतलब का बिलकुल भी नही है, आपका ये मित्र दीपक वीजे एक छोटा सा प्रयास किसी विशेष व्यक्तिव के आग्रह करने पर करने की कोशिश कर रहा है। मित्रों हम सभी आज नए युग में हैं और पूर्णता शिक्षित हैं,चलों इतने शिक्षित तो हैं की व्हाट्सप्प और फेसबुक तो चला ही सकते हैं,मतलब चला ही रहे हैं।हम आये दिन, हर घण्टे कुछ न कुछ सोशल मीडिया के जरिये अपने दोस्त, परिवार,ग्रुप्स में भेजते रहते हैं।वाह! कितना अच्छा है,आज हम लोग दूर होते हुए भी एक दूसरे से काफी हदतक टच में हैं और हमारे हाथ में भी टच फोन है।इस टच का कमाल तो देखिये,ज़रा भी कोई भी मेसेज हमारी भावनाओ (फीलिंग्स) को टच हुआ,हमने इसे आगे फॉरवर्ड कर दिया।बिना सोचे ही चाहे कुछ भी हो,हमारे दिल को तो छु गया भाई!अब किसी की नही सुन सकते।☺ दोस्तों हमारा इस तरह का अंदाज एक और तो ठीक है,लेकिन अगर बात करें इसके दूसरे पहलू पे तो ये सोचने लायक है। जैसे- पापा का नाम अशोक कुमार व माता का नाम गुड्डी बता रहे है। पिलिज आपके पास जितने भी group है पिलिज उसमें सेंनड करो। अब इस मेसज को देखे तो न तो इसमे जगह का नाम है और न ही दिनांक, अब ऐसे में गुड्डी और पप्पू मिल भी जायेंगे तो भी हमें पता नही चलेगा,और हम ये मेसेज बार बार भेजते रहेंगे,और शायद! जब तक ये नन्हे मुन्हे,गुड्डी और पप्पू, युवा हो जायेंगे!👍।हम लोग हद तो तब भी करते हैं,जब वो गायों से भरा ट्रक वाला मेसेज हमारे पास आता है हम आज भी उस ट्रक को पकड़वाने में लगे रहते हैं,जबकि ट्रक कबका पहुच गया☺। बस इतना ही कहना चाहूँगा क़ि बंद करो इस तरह क़ि समाज सेवा(भर्मित जानकारियों से युक्त) भरना करते रहो जानवरों की तरह "ईट स्लीप रिपीट" क्या फर्क पढ़ता! हाँ फर्क पढ़ता हे तो केवल बुद्दिजीवियों को पर वह ऐसा कतई नहीं करते,अब आप सोच सकते हैं।आप अपने आप को कहाँ रखते हैं। धन्यवाद!👍💐💐💐 @दीपक वीजे सेन।
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अपने काम में ईमानदारी

14 अप्रैल 2017
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दोस्तों हम सभी कोई न कोई काम जीवन में अवश्य करते हैं। काम करना ही हमारे जीवन का निर्वाह करने में सहायक है। जाहिर सी बात है के अपने पेट को भरने के लिए हमें काम तो करना ही पड़ेगा। पर क्या हम अपना काम ईमानदारी और पूर्ण कर्तव्य के साथ करते हैं?क्या हमारे काम से हमें ख़ुशी मिलती है? या फिर हम दूसरों के सा

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सोशल टच का कमाल

27 अप्रैल 2017
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प्रिये मित्रों, एक अनुरोध करना चाहूँगा,मेसेज थोड़ा लम्बा और बोरिंग हो सकता है, लेकिन ये वादा करता हूँ क़ि फ़िजूल और बेमतलब का बिलकुल भी नही है, आपका ये मित्र दीपक वीजे एक छोटा सा प्रयास किसी विशेष व्यक्तिव के आग्रह करने पर करने की कोशिश कर रहा है। मित्रों हम सभी

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माँ तुमने मुझे बनाया.....

30 अप्रैल 2017
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माँ तूमने मुझे बनाया...........☺माँ तूमने मुझे बनाया..........उंगली पकड़ के तुमनेचलना सिखाया,मेरे नन्हें क़दमों को,जमीं पे ठहराया,माँ तूमने मुझे बनाया..........जब लगी चोट मुझको,चुनरी को फाड़, मलहम तुमने लगाया,रोया में आँसू भर- भर,तुमने गले लगाया,माँ तूमने मुझे बनाया..........धूप में अपने आँचल में,मुझक

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facebookiya, फेसबुकिया

6 मई 2017
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कुछ जाने ,कुछ पहचाने,कुछ पगले और कुछ दीवाने से दोस्त इस फेस को कवर करने वाली बुक ने बना रखे हैं। ये बुक है,और यहाँ हर कोई बुक है।😂कहने को तो फेसबुक है,लेकिन बड़ी ही बक-बक है।कभी-कभी तो जान न पहचान,सलाम भाईजान! पर यह भी जरुरी है. यहाँ इस बुक में सारे पात्र हैं, मिश्रा जी से लेकर शर्मा जी,वर्मा जी और

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बिलीव इन योर सेल्फ

10 अक्टूबर 2017
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