कुछ जाने ,कुछ पहचाने,कुछ पगले और कुछ दीवाने से दोस्त इस फेस को कवर करने वाली बुक ने बना रखे हैं। ये बुक है,और यहाँ हर कोई बुक है।😂कहने को तो फेसबुक है,लेकिन बड़ी ही बक-बक है।कभी-कभी तो जान न पहचान,सलाम भाईजान! पर यह भी जरुरी है. यहाँ इस बुक में सारे पात्र हैं, मिश्रा जी से लेकर शर्मा जी,वर्मा जी और शहर की एंजेल,गाँव की गौरी,यहाँ सब प्रिन्स और कुँवर हैं।आपका मित्र वी.जे. भी और कहीं कोई शरारती छोरा अपने एटिट्यूड पे रोरा।ये वो बगीचा है, जिसमे सारे फूल हैं (अंग्रेजी के)। आटे में नमक और फेसबुक पे चमक,अब तो यह दो ही चीजें रह गईं हैं। नमक हटा तो स्वाद बिगड़ा और फेसबुक पे लाइक्स(चमक) नही तो मिज़ाज बिगड़ा। बड़ा रट्टा हे वही! ये वो बुक है जिसको पकड़कर दिन -रात एक करने वाले परिश्रमी को फेसबुकिया कहा जाए तो ग़लत नही है।
#दीपक.वी.जे.सेन।☺