तुम तेज चमकीली मांझे सी
मै सीदा सादा सद्दा प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
तुम वैलेंटाइनडे सी महकी महकी
मै जून की तपती धुप प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
तुम रसभरी सी रसीली
मै कड़वे करेले जैसा
तुम नई नवेली मैट्रो सी
मै पैसेंजर का जनरल कोच प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
तुम गुलाब सी महको घर में
मै बबुल का देसी झाड़ प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम जातिगत रुझान सी
मैं "आडवाणी" सा लाचार हूँ
तुम "कोविंद" सी नयी नवेली
मैं संविधान की हार प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
तुम आरक्षण की चमक चांदनी
मैं जनरल की काली रात प्रिये
तुम "40%" पर आई मुस्कान हो
मैं "कट ऑफ" की मार प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
तुम "अच्छे दिन" के सपने सी
मैं "कश्मीर" का हालात प्रिये
तुम समानता के बजते ढोल सी
मैं समानता की आस प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये.....
#अल्फाज़