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26/8/2022 जल संरक्षण

26 अगस्त 2022

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हैलो सखी।
कैसी हो ।मै अच्छी हूं।कल शब्द टीम की तरफ से एक वेबिनार आयोजित किया गया ।लिंक तो समूह मे पहले ही शेयर कर दिया था। लेकिन कल हमें कुछ काम था तो थोडा देरी से मीटिंग ज्वाइन की। लेकिन अच्छा लगा । शैलेश जी, संतोष जी और अमितेश जी ने बहुत अच्छे से लेखकों का मार्गदर्शन किया कि कैसे मंच पर रचनाएं प्रकाशित करें।हमने भी अपने कुछ सुझाव रखें।हमे कहा गया कि आप बताएं कि आप कौन से मंच जुड़ी हैं जहां लेखकों को रचनाएं प्रकाशित करने पर लाइकस से प्वाइंट मिलते है तो वो मंच है लेखिनी।
मै प्रमोशन नही कर रही बस बता रही हूं।
आज की दैनिक प्रतियोगिता का विषय है "जल संरक्षण"
तो कुछ मेरे विचार एक कहानी के माध्यम से।

"गीतू ओ बेटा गीतू । जल्दी बाहर निकल बाथरूम से ।देख रही हूं कितनी देर से शावर के नीचे खड़ी है पानी बहाये जा रही है।"
मां ने सात साल की गीतू को जोर से डांटते हुए आवाज लगाई।
"मां बस थोड़ी देर ओर नहाने दो बड़ा मजा आ रहा है ।देखो ऐसे लग रहा है जैसे बाथरूम मे बरसात हो रही है ।सच मां इतनी गर्मी मे ऐसे ठंडे ठंडे पानी से नहाने मे बड़ा मजा आता है । प्लीज़ मां प्लीज़।"
संगीता ने सिर पर हाथ रखकर कहा,"अब मै इस लडकी का क्या करूं?"
गीतू बहुत ही शरारती बच्ची थी ।उसे शावर के नीचे नहाने का बड़ा शौक था।सुबह स्कूल जाते समय नहाती फिर स्कूल से आकर और फिर शाम को खेल कर आकर वह जरूर नहाती थी। संगीता बड़ी परेशान रहती वह टंकी मे जितना पानी भरती वहशाम तक खाली हो जाता था ।आज तो संगीता मन मे सोचकर बैठी थी कि आज बेटी को समझाकर ही रहेगी कि पानी की कितनी अहमियत होती है ज़िंदगी मे।
जैसे ही गीतू नहा कर बाहर निकली दोपहर के तीन बज चुके थे पूरा एक घंटा नहा कर आयी थी।बाहर आते ही उसने कहा,"मम्मी खाना दे दो।"
संगीता ने गीतू की सब्जी मे थोडी लाल मिर्च डाल दी ज्यादा और खाना लाकर उसके आगे रख दिया ।वह हमेशा पानी का गिलास साथ मे रखती थी । लेकिन आज जानबूझ कर पानी नही दिया गीतू को ।गीतू ने जैसे ही पहला निवाला खाया उसकी जान निकल गयी।"हाय ममा पानी ला दो । मुझे जोर से मिर्ची लग रही है पर संगीता ने सुनकर भीअनसुना कर दिया।और वो खाना देने से पहले फ्रीज मे रखी बोतले उसने किचेन मे छुपा दी थी।और स्वयं टायलेट मे चली गयी ।जब गीतू ने देखा मां कही नही दिखाई दे रही है तो वह स्वयं उठकर फ्रीज मे पानी लेने गयी पर पानी कही नही मिला उसकी आंखों से आसू बह रहे थे मिर्च लगने से
तभी संगीता ने उसकी हालत देखी तो उसने पानी लाकर दे दिया।गीतू जब खाना खा चुकी तो थोडी देर तो वह पढ़  फिर उसे नींद आ गयी ।नींद मे उसने एक सपना देखा वह एक मरूस्थल में भागी जा रहीहै । चारों तरफ रेत ही रेत है उसे बहुत तेज पानी की प्यास लगी है ।वह पानी की तलाश मे भागी जा रही है पर उसे कही भी पानी नही मिला । आख़िर एक जगह वह प्यास के मारे बेहोश हो कर गिर गयी।तभी उसकी हड़बड़ाहट मे आंखें खुल गयी। वास्तव मे उसका गला जोर से सूखा हुआ था।उसने फ्रीज में से निकाल कर पानी पीया।और मन मे सोचा कितना भयानक सपना था अगर ऐसा वास्तव में हो जाए तो क्या होगा मां सही कह रही थी कि ऐसे ही पानी बहाती रही तो एक दिन सारा पानी खत्म हो जायेगा
वह आंखों मे पानी लाकर मां से बोली,"मां आप सही कहती थी मै वास्तव में बहुत पानी बर्बाद करती हूं अब मै ऐसा नही करूंगी मुझे पता चल गया है कि पानी की क्या अहमियत होती है।"
संगीता ने अपनी बेटी को गले से लगा लिया।चलो सुबह का भूला शाम को लौट आया।

सखी ये थी मेरी रचना "जल संरक्षण पर 
अब चलती हूं अलविदा।
sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌

26 अगस्त 2022

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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (अगस्त)
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सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।
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1/8/2022

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3/8/2022

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प्रिय सखी।कैसी हो।मै बस अच्छी ही हूं। मनोभाव आहत थे पर थोड़ी मलहम पट्टी शब्द टीम की तरफ से अनजाने मे ही हमारे आहत मनोभावों पर हो गयी ।डायरी लेखन प्रतियोगिता में हमे प्रथम स्थान मिला तो वही पहली ही बार

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प्रिय सखी।कैसी हो ।मै अच्छी ही हूं ।वही दैनिक कार्यक्रम चल रहा है घर से देहली शोप और शोप से घर।बस इसी भागदौड़ मे लिखने का समय ही नही मिलता।बस सफर मे कुछ ऐसा दिख जाता है जिसको देखकर बहुत बार मन लिखने क

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6/8/2022

6 अगस्त 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं दो दिन से घर पर ही हूं । थोड़ी तबियत ठीक नही रहती पतिदेव की।पता नही कुछ डिप्रेशन की समस्या हो गयी है शायद।आज कल काम धंधा तो है नही खास अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी इस बीमार

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8/8/2022

8 अगस्त 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी ही हूं। बस पतिदेव की बीमारी से परेशान हूं।अब घर के मुख्य सदस्य ऐसे हो छाए तो हम पर और बच्चों पर क्या असर पडेगा।घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ जाएगी।पर कहते है उपर वाले की रजाम

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9/8/2022

9 अगस्त 2022
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14/8/2022

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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं।अब की बार काफी दिनों बाद मुलाकात हुई क्या करूं तबीयत नासाज थी ।नही नही हमारी तो ठीक हो गयी थी दो दिन मे बस पतिदेव की तबीयत ठीक नहीं थी।सोई अवकाश ही नही मिला।आज थोड़ा समय

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17/8/2022

17 अगस्त 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब ठीक हूं ‌‌‌पता नही इस महीने क्या हुआ है । हमारी तुम्हारी मुलाकात सही से हो ही नही पा रही है ।कभी हम बीमार तो कभी पतिदेव।आज घर पर ही थी सोचा आज तुम से मिलूंगी लेकिन

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19/8/2022

19 अगस्त 2022
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प्रिय सखी ‌।कैसी हो ।मै अच्छी हूं।लो अपने वादे के मुताबिक मैंने इंट्रो मे जो बात कही थी कि कुछ विशेष है इस महीने तो लो वो विशेष आज के दिन ही है ।आज जन्माष्टमी भी है और हमारा जन्मदिन भी।कुछ कुछ मेरे अस

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22/8/2022

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26/8/2022 जल संरक्षण

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27/8/2022 :- धार्मिक उन्माद

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29/8/2022 अवैध निर्माण

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