प्रणाम स्वामी जी, Yes, अब हमे अपना जीवन बचाना है तो पृथ्वी को सुरक्षित रखना होगा। बहुत दोहन कर लिए उसके प्रति संवेदनशीलता हमारी कम रही है। पेड़ पौधे काट डाले,उपजाऊ भूमि
प्रणाम सद्गुरू, जल ही जीवन है । जल हमारे लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। जलस्तर एकदम नीचे चला गया है। अब गाँवो में भी कई गाँवो का बोर सूखता जा रहा है ।अप्रैल के आते तक
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, हमने शोषण ही शोषण किया है। पेड़ पौधे द्रुत गति से काट डाले जंगलो को नष्ट कर डाला। शहर से लगे आसपास के गांव अब शहर बन गए । अब ये शहर बनकर अपने आसपास के गां
कुदरत से थोड़ी सी तो वफाई कर लो, आसमान पिता, धरती को माई कह लो, कब तक बोझ डालोगे पिता की कमाई पर, इस आबो-हवा की, थोड़ी सफाई कर लो । @नील पदम्
यह गंगा नदी का तीर है, वर्षा के बाद की तस्वीर हैहमने गंगा को दिया ये प्यार, उन्होंने लौटाया उपहार।ये गंगा नदी है, सबके पापों को धुलती फिरती हैपूरे शहर का मलवा, अपने सिर पर ढोती रहती है।गंगा को माँ कहक
ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी(G20) एक अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक संरचना विश्लेषण व उसे मजबूत प्रदान करता है। सन 1999 में इसकी स्थापना एशियाई वित्तीय संकट
प्रकृति में परिवर्तन तेजी से हो रहा है। सबसे बड़ा कारण पेड़ो का विनाश है। हम वृक्ष तेजी से काट रहे हैं।दुसरा वातावरण में प्रदूषण का होना। इन्ही कारणो से प्रकृति संतुलन में नही है। वह अपना संतुलन बना
पृथ्वी दिवस हर वर्ष की तरह 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण श
जब कोई प्रक्रिया या प्रावस्था किसी दूसरी प्रक्रिया या प्रावस्था को उत्पन्न करती है तो इसे कारणता कहते हैं। जो प्रक्रिया/प्रावस्था उत्पन्न होती है उसे 'प्रभाव' कहते हैं तथा प्रभाव को उत्पन्न करने व
जल से कल है हमाराजल संरक्षण को है अपनानाजल के बिना न जीवन हमाराजल को दूषित न हो हमारा जल दूषित है तो स्वास्थ्य ख़राब हमाराजल ही तो है जीवन हमाराजल से बहती है नदियां सागर हमारेजल की शुद्धता है लक्
धरोहर है ये प्रकृति की,इस तरह न बहनें दे,तरस जाया करोगे तुम,व्यर्थ में न बहाओं,जल संरक्षण के इस युद्ध में,जल रक्षक बन के दिखाओ। पानी है अनमोल बहुत,बेस किमती है ख
दृश्य : गर्मी का मौसम चल रहा है सभी जानवर गर्मी के मारे परेशान हैं। पूरा जंगल सुख गया है और एक तालाब के किनारे सारे जानवर आकर पेड़ की छावं के नीचे बैठे हुए हैं | हाथी (गजोधर) : कितनी गर्मी हो
मनाते हो हल साल नया वर्ष हर दिन को नया वर्ष मनाया करो । ठान लेते और खा लेते हो कसम जरा उस पर अमल भी लाया करो। मनाते हो होली व दीवाली उत्सव से हर दिन रंग जाया करो । उस बच्
प्राकृतिक संसाधन क्या है? वह संसाधन जो प्रकृति ने दिया है जिसे मानव ने नही बनाया प्राकृतिक संसाधन कहलाता है । पृथ्वी के अन्दर कोयला पेट्रोलियम खनिज सम्पदा सीमित मात्रा में उपलब्ध है ।पृथ्वी के
भारत में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है । पहले शहर व नगरो में वाहन होते थे लेकिन अब गाँवों में वाहन की संख्या बढ़ती जा रही है चौबीस घंटे हर क्षेत्र में वाहनों से हानिक
एक एक है बूँद कीमती,बूँद बूँद से नदी है बनती।शैशव रूप में पहाड़ से चलकर,दीर्घ रूप मैदान में है लेती।।इधर इठलाती उधर बलखाती,कभी न वो एक सीध में चलती।कल कल कर वो बहती जाती,मधुर मधुर संगीत सुनाती।।बहुतेरे
दिलरुबा दिनांक-26/8/22 समय -रात्री। प्यारी दिलरुबा आज मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर तुम्हारा ध्यान आकर्षित करने जा रही हूं,,,,,,, प्लीज मेरी बातों को मज़ाक में म
Hello friendsजल का करो सीमित उपयोग , बेवजह इसे बहाओ मत , जल ही जीवन है हर जीव का , गौर करो इस बात पर तुम ।जिसे जल मिल जाता है आसानी से , वो जल संरक्षण ही नहीं करता ,जो जल बड़ी मुश्
जल बचाना लक्ष्य बनाओ,यह जीवन को वरदान है ।जल संरक्षण के कदम बढ़ाओ,नहीं मच जाये तूफान है।।व्यर्थ में ना जल को बहाओं, जल बरसाने तरू उगाओ।खुद जागो और लक्ष्य बनाओ, जल बचाने को सबको जगाओ।।जल से ही जनजीवन ह
यह सार्वभौमिक सत्य है कि जीव-जगत में ऑक्सीजन की तरह ही जल भी प्राण तत्व है। इसके बिना न तो मनुष्यों का और ना ही पृथ्वी पर पलने वाले अन्य प्राणियों का काम चलता है। इसलिए यह कहना अतिश्योक