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मेरा नबाब ( डांग)

13 मार्च 2020

353 बार देखा गया 353
featured imageआज नबाब पूरे-पूरे दो साल का हो गया। सबका चहेता बन गया। बच्चों ने कितना ज़िद किया मम्मी पापा मान जाओ ना । एक दिन बहन भाई ने अपनी गुलक से सारे पैसे निकाल कर नबाब को ले आये। पापा ने चिल्ला कर कहा या तो इसे पाललो या फिर मेरे को। मम्मी को कुत्ते बिल्कुल भी पसंद नहीं थे बच्चों को थप्पड़ जड़ दिया बच्चों में जैसे डांट सहने की शक्ति आ गयी हो । सारा दिन बारी बारी उसकी सेवा में लगे रहे। मम्मी को डिप्रेशन में आते देख पापा ने बच्चों को उसे छोड़ कर आने को बोला । छोड़ने की आवाज सुनकर नबाब पापा के पैरों में आकर बैठ गया और पैरों को चाटने लगा जैसे कह रहा हो मुझे मत भेजो । पापा को दया आ गयी वो मान गये । मम्मी को मनाना मुश्किल हो गया। नबाब ने अपनी प्यारी प्यारी हरकतों से सिर्फ मम्मी को ही नहीं घर में सबको मना लिया। नबाब को देख कर कोई कुछ कहता तो कोई कुछ , कोई कहता घर में अशुभता आती है बरकत नहीं होगी ये सारी बातों से दिमाग़ में घूमने लगा। एक दिन मैं उसे सुसु करवाने बाहर ले गयी तो उसने पेड़ पर सुसु कर दिया। थोड़े दिन बाद मैंने देखा सालों से पड़ा सुखा पेड़ हरा हो गया। सारी शंकाएं समाप्त हो गयी।

ललिता बोथरा की अन्य किताबें

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शरीर एक मुबाईल है निकाल निकाल

29 फरवरी 2020
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एक दिन मेरे साथ एक विचित्र घटना हुई मस्तिष्क जाग रहा है लेकिन शरीर शिथिल होने लगा हाथ उठाना चाहती हूं पर उठा नहीं पा रही हूं। मुझे लगा मेरे शरीर की गति चलते चलते धीरे होने लगी। मुझे मेरा शरीर किसी मुबाईल फोन से कम नहीं लग रहा था । फोन जब ओवरलोड हो जाता है तो चलने में दिक्कत करता है तो उसे हल्का क

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संकल्प

1 मार्च 2020
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संकल्प बहुत ही बड़ी शक्ति है। हमारा सारा विकास संकल्प पर आधारित है। संकल्प का अर्थ है दृढ़ निश्चय। दृढ़ निश्चय को इतना दृढ़ बना लेना कि मैं मर जाऊंगा पर काम नहीं कल्पकमजोर कम आज संकल्प शक्ति बहुत कमजोर होने लगी आज का कार्य कल पर आश्रित हो गया । महात्मा गांधी का निश्चय बहुत ही दृढ़ था।अनेक बार उन्हें

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जीवन

4 मार्च 2020
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एक व्यक्ति ने पूछा आज के युग की सबसे बड़ी बीमारी क्या है? आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने कहा कोरा वैज्ञानिक होना और आध्यात्मिक नहीं होना वर्तमान समय की सबसे बड़ी बीमारी है। व्यक्ति की इसी मनोवृत्ति ने बहुत सारी बीमारियो को जन्म दिया वर्तमान युग की सबसे बड़ी अपेक्षा है और समस्या

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रंग मंच

13 मार्च 2020
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जीवन एक रंग मंच है हम सारे कलाकार है ।मंच पर आते हैं और अपना किरदार निभाते हैं और फिर चले जाते हैं। जीवन रंग बिरंगे किरदारो से भरा हुआ है ।स्टेज बहुत छोटा है ईमानदारी से अपने आपको जीवित करना है। करेक्टर में पूरी तरह उदारता नहीं दिखाई तो रंग मंच पर सफल नहीं हो सकते। कोई हंसते हुए आता है तो को

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मेरा नबाब ( डांग)

13 मार्च 2020
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आज नबाब पूरे-पूरे दो साल का हो गया। सबका चहेता बन गया।बच्चों ने कितना ज़िद किया मम्मी पापा मान जाओ ना । एक दिनबहन भाई ने अपनी गुलक से सारे पैसे निकाल कर नबाब को ले आये। पापा ने चिल्ला कर कहा या तो इसे पाललो या फिर मेरे को।मम्मी को कुत्ते बिल्कुल भी पसंद नहीं थे बच्चों को थप्पड़ जड़ दियाबच्चों में जै

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ताकत परिवार की

15 मार्च 2020
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सुबह सुबह चाय देने में पांच मिनट लेट क्या हो गयी कि पापाने घर आसमान पर उठा लिया।। सबकी सुबह खराब हो गईछोटी-छोटी बातों पर इतना गुस्सा ? पापा के इसी व्यवहार से सबका मन खराब हो गया । क्या हो गया है गुस्सा क्यु आ रहाहैं ? ये जानने की किसी ने भी कोशिश नहीं की ‌मैने चाय का कपलिया वो छत पर आ गई पापा पर गुस

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नवाब

17 मार्च 2020
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नवाब (डांग) जब घर आया बच्चे बहुत खुश थे । लेकिन मैं खुश नहीं थी,शायद मैं यह सोच रही थी कि इसके आने पर मैं बंधन में बंध जाउंगी या उसके बालों को लेकर या कहीं जायेंगे तो इसे कोन रखेगा। बहुत बड़ी जिम्मेदारी लें ली। बहुत सारी बातें दिमाग़ में घूमने लगीं । कुछ नहीं होते हुए भी मुझे बहुत कुछ हो गया। कुछ द

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हिंदोस्ता हमारा

22 मार्च 2020
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जन जन शंखनाद, थाली, ताली , मंदिर में नगाड़े घंटियों की आवाजसुनकर दिलभर आया आंखों में आसूं निकल आए। इस घोर विपदाकी धडी को भी मोदी जी ने त्योहार बना दिया।पलभर ही सही लोगों में जोश भर गया थोड़ी देर के लिए करोना को भुलाकर देश की सेवा में समर्पित लोगों को शुभकामनाएं देने लगे। शंखनाद, मंदिर की घंटियों की

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भोतिक आवश्यकता।

25 मार्च 2020
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आज मेरा मन स्थिर नहीं है जब मेरा मन स्थिर नहीं होता है तोमैं पेड़ों से बातें करती हुं। ज़िन्दगी कितनी अजीब होती जा रही है।एक समय था जब चाय पीने की फुरसत नहीं मिलती थी बच्चों की परवरिश, घर के कामों में ही सारा समय निकल जाता थाऔर अब समय है तो परिवार साथ नहीं है पहले परिवार बड़ा होताथा तो घर हरा भरा ल

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मेरा नबाब।

26 मार्च 2020
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जब से करोना महामारी फैलने लगी है उस दिन से मुझे नवाब (डांग) परिवर्तन देखने को मिला ।आजकल ये परिवार के साथज्यादा रहना पसंद करता है।बाहर गेट के पास पहले गली काकोई कुत्ता आ जाता था तो वह दौड़ कर उससे मिलने की कोशिशकरता पर आजकल वो उनके पास नहीं जाता। गाड़ी में भी घुमनेकी जिद नहीं करता। उछलने कुदने वाला

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जन विश्वास

29 मार्च 2020
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चीन देश में एक प्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस हुये। उनसे एकशिष्य ने पूछा शासन प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है? दार्शनिक- पर्याप्त भोजन, अस्त्र शस्त्र और जनता का विश्वास प्राप्त करके।शिष्य- यदि तीनों में से किसी का त्याग करना पड़े तो उसे क्या छोड़ना चाहिए? दार्शनिक- अस्त्र शस्त्र को।शिष्य- मान लिजिए

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दुआओं ने कहां पहुंचा दिया

31 मार्च 2020
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महारानी विक्टोरिया के बचपन की घटना है कि एक बार बाजार में एक गुड़िया को देखा। वह उसे बहुत पसंद आयी । वह उसे खरीदनाचाहती है पर पास में पैसे नहीं हैं। अतः खरीद न सकी। उसने पैसेइकट्ठे किए। पर्याप्त पैसे इकट्ठे होने पर पुनः मार्केट गयी और दुकान में जाकर गुड़िया को खरीद लिया। बड़ी खुशी से नाचते नाचते बाह

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भगवान महावीर

6 अप्रैल 2020
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जैन धर्म के चोबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म लगभग नवमास और साढ़े सात दिन की गर्भकाल पूर्णहोने पर चैत्र शुक्ला 13 के दिन त्रिशलादेवी ने एक दिव्यपुत्र-रत्न को जन्म दिया।जैन परम्परा के अनुसार जब तीर्थंकर और चक्रवर्ती की महान आत्मा किसी भाग्यशाली माता के गर्भ में आती है तोमाता चौदह महान् शुभ स्व

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नया साल

5 जनवरी 2021
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2021में होगा इक्कीसखुशियां ही खुशियां मिले इक्कीस मेंतो कितना अच्छा होगा,खुशि मिले तो खुशहाल जीवन होगा,ग़म के बादल छंट जाये तो,देश का विकास होगा तो कितना अच्छा होगा।खेतों में लहरायेगी फसलेंचारों तरफ हरियाली होगी,महंगाई जब कम होगीतब कितना अच्छा होगा।प्यार बढ़े हर दिल में इतना,नफ़रत का न सांया होगामिल

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जीवन

6 जनवरी 2021
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मैंने अपने आप को अन्दर से टटोला कि मैंने जीवन कैसे जीयारात को कायोत्सर्ग की मुद्रा में लेटी , कोमलता से आंखों को बंद किया और भीतर की ओर चली गयी।बचपन कितना अच्छा था मां बाप दादा दादी का प्यार मिलास्कूल में आगे बढ़ने की मंजिल दिखाई ।सहीऔर गलत की पहचान करना सिखायासब कुछ अच्छा ही चल रहा था कि अचानक में

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स्वस्थ जीवन के नियम

7 जनवरी 2021
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हर व्यक्ति जीवन में सुख शांति समृद्धि वह आनन्द का अनुभव करना चाहता है। अधिक से अधिक धन प्राप्ति के बाद भी अगर उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह सुख शांति का अनुभव नहीं कर सकता। अधिकांश बीमारियां हमारी गलत जीवन पद्धति के कारण होती है। अपना स्वास्थ्य अपने ही हाथों में है।1-शरीर एवं पर्यावरण की स्वच्छता

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