ललिता बोथरा
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स्वस्थ जीवन के नियम
हर व्यक्ति जीवन में सुख शांति समृद्धि वह आनन्द का अनुभव करना चाहता है। अधिक से अधिक धन प्राप्ति के बाद भी अगर उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह सुख शांति का अनुभव नहीं कर सकता। अधिकांश बीमारियां हमारी गलत जीवन पद्धति के कारण होती है। अपना स्वास्थ्य अपने ही हाथों में है।1-शरीर एवं पर्यावरण की स्वच्छता
जीवन
मैंने अपने आप को अन्दर से टटोला कि मैंने जीवन कैसे जीयारात को कायोत्सर्ग की मुद्रा में लेटी , कोमलता से आंखों को बंद किया और भीतर की ओर चली गयी।बचपन कितना अच्छा था मां बाप दादा दादी का प्यार मिलास्कूल में आगे बढ़ने की मंजिल दिखाई ।सहीऔर गलत की पहचान करना सिखायासब कुछ अच्छा ही चल रहा था कि अचानक में
नया साल
2021में होगा इक्कीसखुशियां ही खुशियां मिले इक्कीस मेंतो कितना अच्छा होगा,खुशि मिले तो खुशहाल जीवन होगा,ग़म के बादल छंट जाये तो,देश का विकास होगा तो कितना अच्छा होगा।खेतों में लहरायेगी फसलेंचारों तरफ हरियाली होगी,महंगाई जब कम होगीतब कितना अच्छा होगा।प्यार बढ़े हर दिल में इतना,नफ़रत का न सांया होगामिल
भगवान महावीर
जैन धर्म के चोबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म लगभग नवमास और साढ़े सात दिन की गर्भकाल पूर्णहोने पर चैत्र शुक्ला 13 के दिन त्रिशलादेवी ने एक दिव्यपुत्र-रत्न को जन्म दिया।जैन परम्परा के अनुसार जब तीर्थंकर और चक्रवर्ती की महान आत्मा किसी भाग्यशाली माता के गर्भ में आती है तोमाता चौदह महान् शुभ स्व
दुआओं ने कहां पहुंचा दिया
महारानी विक्टोरिया के बचपन की घटना है कि एक बार बाजार में एक गुड़िया को देखा। वह उसे बहुत पसंद आयी । वह उसे खरीदनाचाहती है पर पास में पैसे नहीं हैं। अतः खरीद न सकी। उसने पैसेइकट्ठे किए। पर्याप्त पैसे इकट्ठे होने पर पुनः मार्केट गयी और दुकान में जाकर गुड़िया को खरीद लिया। बड़ी खुशी से नाचते नाचते बाह
जन विश्वास
चीन देश में एक प्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस हुये। उनसे एकशिष्य ने पूछा शासन प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है? दार्शनिक- पर्याप्त भोजन, अस्त्र शस्त्र और जनता का विश्वास प्राप्त करके।शिष्य- यदि तीनों में से किसी का त्याग करना पड़े तो उसे क्या छोड़ना चाहिए? दार्शनिक- अस्त्र शस्त्र को।शिष्य- मान लिजिए
मेरा नबाब।
जब से करोना महामारी फैलने लगी है उस दिन से मुझे नवाब (डांग) परिवर्तन देखने को मिला ।आजकल ये परिवार के साथज्यादा रहना पसंद करता है।बाहर गेट के पास पहले गली काकोई कुत्ता आ जाता था तो वह दौड़ कर उससे मिलने की कोशिशकरता पर आजकल वो उनके पास नहीं जाता। गाड़ी में भी घुमनेकी जिद नहीं करता। उछलने कुदने वाला
भोतिक आवश्यकता।
आज मेरा मन स्थिर नहीं है जब मेरा मन स्थिर नहीं होता है तोमैं पेड़ों से बातें करती हुं। ज़िन्दगी कितनी अजीब होती जा रही है।एक समय था जब चाय पीने की फुरसत नहीं मिलती थी बच्चों की परवरिश, घर के कामों में ही सारा समय निकल जाता थाऔर अब समय है तो परिवार साथ नहीं है पहले परिवार बड़ा होताथा तो घर हरा भरा ल
हिंदोस्ता हमारा
जन जन शंखनाद, थाली, ताली , मंदिर में नगाड़े घंटियों की आवाजसुनकर दिलभर आया आंखों में आसूं निकल आए। इस घोर विपदाकी धडी को भी मोदी जी ने त्योहार बना दिया।पलभर ही सही लोगों में जोश भर गया थोड़ी देर के लिए करोना को भुलाकर देश की सेवा में समर्पित लोगों को शुभकामनाएं देने लगे। शंखनाद, मंदिर की घंटियों की
नवाब
नवाब (डांग) जब घर आया बच्चे बहुत खुश थे । लेकिन मैं खुश नहीं थी,शायद मैं यह सोच रही थी कि इसके आने पर मैं बंधन में बंध जाउंगी या उसके बालों को लेकर या कहीं जायेंगे तो इसे कोन रखेगा। बहुत बड़ी जिम्मेदारी लें ली। बहुत सारी बातें दिमाग़ में घूमने लगीं । कुछ नहीं होते हुए भी मुझे बहुत कुछ हो गया। कुछ द