9 अगस्त यह तिथि इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
सन् 1942 में यह अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन का पहला दिन था, तो सन् 1945 में यह तिथि जापान के महानगर नागासाकी पर प्रलयाग्नि बन कर बरसी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध ने यूरोपीय देशों की कमर तोड़ दी और वो धीरे धीरे अपने उपनिवेशों से पलायन करने लगे। इस प्रकार उपनिवेशवाद का अंत होने लगा और देश स्वतंत्र होने लगे। हमको भी भारत छोड़ो आंदोलन, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से जन्मी विषम परिस्थितियों और एक बहुत लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिल गई और फिर देश में श्रेय लेने और हक जताने की एक होड़ चल पड़ी जो आज तक बदस्तूर जारी है।
अब तो लोग सवाल ये भी उठाते हैं कि इनका आजादी में क्या योगदान था? उन्होंने स्वतंत्रता के लिये क्या किया?।और साथ ही ताली भी ठोंकते हैं कि केवल और केवल हमने आजादी के लिये संघर्ष किया।ख़ैर जो आजादी का महत्व जानते हैं वो समझते हैं कि आजादी केवल एक व्यक्ति, एक परिवार की उपलब्धि न तो कभी थी और न ही कभी होगी।
आज 9 अगस्त की तिथि एक अन्य अति महत्वपूर्ण कारण से भी ऐतिहासिक पटल पर अपना स्थान रखती है।वह है #काकोरी_क्रांति
आज जब मैंने सोचा कि काकोरी के बारे में कुछ कहा सुना जाये तो इतिहास की ओर रुख किया, अंतर्ताना के गुरू "गूगल देव" की शरण भी ली पर हर जगह इस घटना का परिचय "कांड, लूट, Robbery" जैसे शब्दों ने दिया।
तब एहसास हुआ कि एक सहस्र वर्ष की दासता ने हमारी आत्मा को इस कदर मार दिया है कि हम इस लूट, कांड और Robbery को अपने लिये क्रांति नहीं बना पाये।
आज #काकोरी_क्रांति की वर्षगाँठ है। कांड, लूट और Robbery वो अंग्रेजों के लिये थी। हमारे लिये नहीं।
काकोरी क्रांति के कारण श्री राम प्रसाद बिस्मिल और श्री अश़फाक उल्ला खान तथा दो अन्य क्रांतिकारी बंधुओं को मृत्युदंड दिया गया। आइये उन्हें याद करें और उनके त्याग के लिये उन्हें धन्यवाद दें।
#जय_हिंद
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