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आस्था या अंध आस्था

7 अक्टूबर 2016

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भारत का ज्ञान , संस्कृति, आध्यात्म , दर्शन और ऐतिहासिक विरासत आरम्भ से ही विश्व के लिए आकर्षण का कारण बनी रही है . प्रागैतिहासिक वैभव , ऐतिहासिक परिवर्तन , मध्य युगीन आक्रमण और आधुनिक वैज्ञानिक युग में भारत ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखी है , वैदिक समय का सामाजिक उत्कर्ष , ऐतिहासिक काल की धरोहरे , मध्युगीन संघर्ष और आधुनिक पहचान बनाने में केवल वैज्ञानिको या क्रांतिकारियों ने ही योगदान नहीं दिए , समाज की प्रगति में संत ो और समाज सुधारको का योगदान भुलाया नहीं जा सकता


संत कबीर ने भेदभाव रहित समाज के निर्माण के लिए अपना जीवन संघर्ष में बिताया.. स्वर्ग और नर्क के अंधविश्वास को तोड़ने मगहर में जाकर मृत्यु स्वीकारी , रजा राम मोहन राय , स्वामी दयानंद सरस्वती , ईश्वर चंद विद्यासागर , स्वामी विवेकानंद , राम कृष्ण परमहंस कुछ ऐसे ही नाम जिन्होंने आदर्श प्रगति के लिए संघर्ष किया .. ब्रह्म समाज , आर्य समाज , पर्दा प्रथा ,सती प्रथा विधवा पुनर्विवाह , विश्व धर्म महासम्मेलन हमारे सामाजिक उत्थान की कुछ कड़ियाँ हैं


परन्तु आज समाज में अंधविश्वास ने अपनी जड़े फिर से पकड़ ली है , और जनता भक्ति के नाम पर हो रहे इस व्यवसाय से आँखे फेरे हुई है आज संतो और बाबाओं का एक जाल फैला हुआ है , वे सत्संग , भक्ति ,श्रधा , आध्यात्म के नाम पर सिर्फ व्यवसाय कर रहे है और हम अन्ध्श्रधा में डूब कर अकर्मण्यता को आत्मसात करते जा रहे है और अपने सबसे बड़े मार्गदर्शक भगवान कृष्ण की दार्शनिक वाणी से दूर होते जा रहे हैं..


तुलना करने के लिए हुम्हे बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं जिन संतो और समाज सुधारको के नाम ऊपर लिए गए हैं उनके प्रयत्नों के परिणाम उनकी पहचान है और आज हम उन्हें इन्ही कारणों से जानते है जरा सोचिये की आज से २० / ३० वर्ष बाद हम संतो को उनके सुधारों के कारण नहीं याद करेंगे बल्कि उन्हें याद किया जाएगा की उन बाबा की मृत्यु के बाद उनके शयन कक्ष से इतनी संपत्ति प्राप्त हुई , उन संत की दैनिक आय इतने करोड रुपये थी , उस संत ने अपनी सत्संग सभ भे अपने ही एक सेवक को सार्वजनिक रूप से अपशब्द कहे , .. उसकी ट्रस्ट का सालाना टर्न ओवर इतना है...


इसलिए कर्मयोग को ध्यान रखिये , समाज की प्रगति में अपना योगदान देते रहिये , इश्वर में आस्था रखिये और इन व्यावसायियो से दूर रहिये

शैलेन्द्र दीक्षित की अन्य किताबें

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत ही शिक्षाप्रद लिखा है , अच्छा लगा ये लेख

8 अक्टूबर 2016

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आस्था या अंध आस्था

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रावण के महिमांडन का खंडन

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