हौले-हौले कानो में जब आहट कोई होती है,
मंद-मंद मुस्कान भरी चेहरे की रंगत होती है,,
चेहरों का नूरानी होना,
मदमस्त गगन का हो जाना,,
तुम पूरक मन के भावों का,
आगन्तुक बन के आये हो,,
मेरे मन के खालीपन को,
तुम आज सजाने आये हो,,
उन पायल के झंकारों से,
झंकृत अब मेरा ह्रदय हुआ,,
एहसास सुखद तुम लाये हो,
तन्हाई वाले मौसम में......
स्वरचित.....
विजय कनौजिया
""""""""""""""""